नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में करीब 3000 टन सोना मिलने की बात जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने खारिज कर दी है। एजेंसी ने कहा है कि 3 हजार टन नहीं, सिर्फ 160 किलो औसत दर्जे का सोना मिलने की संभावना है। जीएसआई की सफाई के साथ उन तमाम खबरों पर ब्रेक लग गया, जिसमें पिछले एक हफ्ते से सोनभद्र में भारी पैमाने पर सोना मिलने का दावा किया जाता रहा है। आखिर सोनभद्र में तीन हजार टन सोना होने की बात कहां से फैली?
चिट्ठी लीक होने से शुरू हुआ खेल
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सारा खेल उत्तर प्रदेश के खनन विभाग और सोनभद्र के कलेक्टर के बीच हुए कुछ पत्र-व्यवहार के लीक होने के बाद शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकम निदेशालय (माइनिंग डायरेक्टरेट) का 31 जनवरी 2020 के एक पत्र के मुताबिक, सोनभद्र जिले के सोना पहाड़ी ब्लॉक में कुल 2943.26 टन और हरदी ब्लॉक में 646.15 किलोग्राम सोना होने की संभावना जताई गई है। इस प्रकार यह पत्र बताता है कि सोनभद्र जिले के दो ब्लॉक में करीब तीन हजार टन सोना होने की संभावना है।
जानें, क्या लिखा है चिट्ठी में
इस पत्र में कहा गया है कि GSI उत्तरी क्षेत्र लखनऊ की ओर से खनिजों की नीलामी की रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है। खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी से पहले भूमि का चिह्नंकन किया जाना है। सोना निकालने के लिए इस पत्र में सात सदस्यीय टीम के गठन की भी जानकारी दी गई है। पत्र में सोनभद्र के जिलाधिकारी (कलेक्टर) की ओर से इस संबंध में 20 जनवरी को पत्र व्यवहार करने की भी जानकारी भी दी गई है।
GSI को जारी करनी पड़ी प्रेस रिलीज
जब 31 जनवरी का यह पत्र बीते 19 फरवरी को सोनभद्र की स्थानीय मीडिया के हाथ लगा, तो यह खबर आग की तरह फैल गई। जिले में 3000 टन सोना मिलने की खबरों के बाद मीडिया में कहा जाने लगा कि भारत फिर से सोने की चिड़िया बनने वाला है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी इसे ईश्वर का आशीर्वाद बताने लगे। मामले ने जब तूल पकड़ लिया तो शनिवार को GSI के कोलकाता स्थित मुख्यालय को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सफाई देनी पड़ी। संस्थान ने कहा है कि सोनभद्र में तीन हजार टन सोना मिलने की बात गलत है।
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