मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर एक वर्ष पूर्व दाखिल किए गए मामले में केस दर्ज किए जाने अथवा याचिका खारिज किए जाने के मुद्दे पर सोमवार को जिला जज की कोर्ट में पुनः नए सिरे से सुनवाई की गई जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी।
बता दें कि लखनऊ निवासी सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री सहित आधा दर्जन लोगों ने विगत वर्ष 22 सितंबर को दीवानी जज सीनियर डिवीजन मथुरा की कोर्ट में वाद दायर किया था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह इंतजामिया कमेटी के बीच पूर्व में जो समझौता हुआ था, वह पूरी तरह से अवैध है। याचिका में कहा गया था कि इसलिए शाही ईदगाह को ध्वस्त कर उक्त संपूर्ण (13.37 एकड़) भूमि उसके मूल स्वामी श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट को सौंप दी जाए। लेकिन अदालत ने उनका यह वाद खारिज कर दिया।
इसके बाद उन्होंने जनपद न्यायाधीश की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। इस याचिका पर सुनवाई के बीच 2 बार जनपद न्यायाधीशों का स्थानांतरण हो चुका है। अब नए न्यायाधीश विवेक संगल ने सोमवार को मामले को समझने के लिए दोनों पक्षों से उनके तथ्य मांगे जिसपर करीब एक घंटे तक बहस चली। वादियों की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, हरिशंकर जैन तथा पंकज वर्मा ने बहस की। अन्य पक्षों में इंतजामिया कमेटी के अलावा श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट तथा श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव भी मौजूद रहे।
प्रथम परिवादी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन की ओर से इस बार उनका पैरवीकर्ता गैरहाजिर रहा। वादी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बात सुन ली है वे अब 29 सितंबर को वाद को स्वीकार करने या खारिज करने पर अपना निर्णय सुनाएंगे। गौरतलब है कि इसी प्रकरण में कई अन्य संस्थाओं एवं वादियों की ओर से मथुरा की अदालत में करीब आधा दर्जन से अधिक कई अन्य मामले भी विचाराधीन हैं जिनपर इस वाद के फैसले से खासा असर पड़ने की संभावना है।
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