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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश योगी के सामने कृष्ण के रूप में मुस्लिम बेटी ने किया ‘गीता पाठ’, उलेमाओं ने जारी किया साल का पहला 'फतवा'

योगी के सामने कृष्ण के रूप में मुस्लिम बेटी ने किया ‘गीता पाठ’, उलेमाओं ने जारी किया साल का पहला 'फतवा'

यूपी में एक मुस्लिम बेटी का स्टेज पर भगवान कृष्ण का रूप धारण करना और गीता का पाठ करना उलेमाओं को खटक गया है...

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लखनऊ: एक मुस्लिम छात्रा ने स्टेज पर कृष्ण रूप में गीता के श्लोक क्या गा दिए, उलेमाओं में खलबली मच गई। मज़हब की दुहाई दे जाने लगी। छात्रा की उस परफॉर्मेंस को दारुल-उलूम देवबंद के ऑनलाइन फतवा विभाग ने गैर-इस्लामी करार दिया है और ये सब हुआ नए साल 2018 के पहले दिन।

यूपी में एक मुस्लिम बेटी का स्टेज पर भगवान कृष्ण का रूप धारण करना और गीता का पाठ करना उलेमाओं को खटक गया है। देवबंद के ऑनलाइन फतवा विभाग के उलेमा ने इसे गैर-इस्लामी करार देकर विवाद खड़ा कर दिया है। ये बात जुदा है कि मेरठ की आलिया खान नाम की इस छात्रा ने लखनऊ में हुए स्टेट लेवल के भागवत गीता संस्कृत श्लोक प्रतियोगिता में पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल कर सुर्खियां बटोरी हैं।

CM योगी ने की थी आलिया की तारीफ

बता दें कि 30 दिसंबर को स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के अमर उद्घोष के स्मृति समारोह के मौके पर गीता पर गायन और भाषण प्रतियोगिता हुई थी। मेरठ की आलिया को गायन प्रतियोगिता में दूसरा स्थान मिला है। आलिया की चर्चा करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उसका मजहब इस्लाम है, लेकिन उसने जिस लय के साथ गीता का गायन किया, वह सराहनीय है।  आलिया ने जब गीता पाठ किया तो उस समय उसने भगवान श्रीकृष्‍ण की तरह ही अपना रूप बना रखा था।

आखिर उलेमाओं को छात्रा की इस परफॉर्मेंस पर इतना ऐतराज क्यों हैं?

आलिया के मुताबिक मजहब इंसानियत का पैगाम देते हैं लेकिन उलेमाओं को एक मुस्लिम लड़की का ये गीता पाठ और स्टेज में उसका कृष्ण का रूप धरना बहुत नागवार गुजरा है। देवबंदी उलेमा कह रहे हैं, इस्लाम किसी मुसलमान को ऐसा करने की इजाजत नहीं देता। आलिया की परफार्मेंस को गैर-इस्लामी करार दिया गया है वो भी तब जबकि न आलिया के घरवालों को इससे कोई ऐतराज है, न रिश्तेदारों को।

मुस्लिम लड़की के गीता श्लोक पढ़ने पर उलेमा नाराज़

  • मेरठ की मुस्लिम लड़की आलिया ने किया था गीता पाठ
  • सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में किया गीता पाठ
  • आलिया के गीता पाठ को उलेमा ने गैर-इस्लामी करार दिया

श्लोक से किसी मज़हब को क्या खतरा?

जब आलिया के गीता पाठ करने पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है, तो फिर मजहब की दुहाई क्यों दी जा रही है? आखिर एक मुस्लिम बेटी के गीता पाठ पर उलेमाओं को ऐतराज क्यों है? आखिर किसी के हुनर पर मजहब की बंदिश लगाई जानी कहां तक उचित है?

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