लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यदि पूरे प्रदेश में रेस्तरां लोगों को अपने परिसर के भीतर खानपान की अनुमति देते हैं तो वे सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखना सुनिश्चित करें। रेस्तरां, खानपान के स्टाल और छोटी दुकानों के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि कोई ग्राहक दुर्व्यवहार करता है और रेस्तरां मालिक की बात अनसुनी करता है तो रेस्तरां का मालिक इसकी शिकायत पुलिस से करने को स्वतंत्र है और पुलिस कार्रवाई करने को बाध्य है।
‘5 मीटर के दायरे में कोई बिना मास्क न दिखे’
अदालत ने कहा कि किसी भी खानपान की दुकान का मालिक अपने परिसर में ग्राहकों की भीड़ नहीं लगने देगा। इसके अलावा कोई भी ग्राहक प्रत्येक दुकान के 5 यार्ड के दायरे में बिना मास्क के नहीं दिखाई देना चाहिए। अदालत ने कहा कि खानपान की दुकान के आसपास किसी भी ग्राहक को इस्तेमाल की गई प्लेट, चम्मच या ग्लास फेंकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सड़क किनारे की खानपान की दुकानें पेयजल नहीं बेचेंगी।
‘यह व्यवस्था स्थाई नहीं है, 6 महीने के लिए है’
अदालत ने आगे कहा कि प्रतिदिन 5,000 रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली दुकानों में जहां तक संभव हो, सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए। सभी दुकानें खाद्य पदार्थों की बिक्री सीलबंद बक्से में करने की व्यवस्था करेंगी। अदालत ने कहा कि होटल, रेस्तरां आदि के मालिक इस संबंध में शपथ पत्र देंगे और भविष्य में इनका उल्लंघन होने पर पुलिस प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि शपथ पत्र के साथ कारोबार संचालन की यह व्यवस्था स्थायी नहीं है, बल्कि आदेश दिए जाने के समय से 6 महीने के लिए है।
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