गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में ईडी के देश भर में छापे, अखिलेश के करीबियों पर कस सकता है शिकंजा
अखिलेश यादव का एक और ड्रीम प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में है। लखनऊ में गोमती नदी कि किनारे बने रिवर फ्रंट के निर्माण में घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर आज ईडी ने छापे मारे।
IndiaTV Hindi Desk Jan 24, 2019, 15:19:46 IST
अखिलेश यादव का एक और ड्रीम प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में है। प्रवर्तन निदेशालय ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 1,500 करोड़ रुपये की लागत वाली गोमती नदी केे किनारे बने रिवर फ्रंट विकास परियोजना में धन शोधन के आरोपों की जांच के सिलसिले में बृहस्पतिवार को कई राज्यों में छापेमारी की। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्थानीय पुलिस की सहायता से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की एक टीम ने उत्तर प्रदेश (लखनऊ और नोएडा), दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में आरोपियों और उनके सहयोगियों के विभिन्न परिसरों में छापेमारी की। उन्होंने बताया कि टीम दस्तावेजों और सबूतों की तलाश कर रही है।
केन्द्रीय जांच एजेंसी ने पिछले साल मार्च में इस सिलसिले में धन शोधन रोकथाम कानून (पीएलएलए) के अन्तर्गत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद ईडी ने यह मामला दर्ज किया था। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के गोमती रिवर फ्रंट सौंदर्यीकरण परियोजना की जांच के आदेश देने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी। इस परियोजना को पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) ने पूरा किया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सिंचाई विभाग द्वारा गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना को लागू करने में ‘आपराधिक इरादे’ से की गई अनियमितताओं की जांच के आदेश दिये थे। सीबीआई ने तत्कालीन मुख्य अभियंताओं गुलेश चंद्रा, एस एन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और अधिशासी अभियंता सुरेन्द्र यादव के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
गुलेश चंद्रा, मंगल यादव, अखिल रमन और रूप सिंह यादव सेवनिवृत्त हो गये हैं।
राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था जिसने 16 मई 2017 की तारीख वाली अपनी रिपोर्ट में परियोजना में प्रथम दृष्टया अनियमितताओं का संकेत दिया था। इस रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 19 जून को एक मामला दर्ज किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने जुलाई 2017 में मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। केन्द्र ने 24 नवंबर 2017 को मामला सीबीआई को सौंप दिया, जिसके बाद एजेंसी ने जांच की जिम्मेदारी संभाली।