नैनीताल. 29 साल पहले गाजियाबाद के बहुचर्चित महेंद्र भाटी हत्याकांड में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को पूर्व सांसद डीपी यादव को बरी कर दिया। मुख्य न्यायाधीश RS चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने यादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत न मिलने पर उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। इससे पहले डीपी यादव को अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था। मामले में अन्य तीन अभियुक्तों पर अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।
13 सितंबर, 1992 को विधायक महेंद्र सिंह भाटी की तब के गाजियाबाद जिले (अब गौतमबुद्धनगर) में दादरी रेलवे क्रॉसिंग पर गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। इस हमले में भाटी के साथ उनका साथी उदय प्रकाश आर्य भी मारा गया था। भाटी हत्याकांड की जांच पहले स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही थी लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इसकी विवेचना 1993 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गयी।
उत्तर प्रदेश में डीपी यादव के दबदबे के कारण निष्पक्ष जांच प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2000 में जांच CBI देहरादून को स्थानांतरित कर दी। CBI द्वारा दाखिल आरोपपत्र में पूर्व सांसद यादव और कुख्यात अपराधी लक्कडपाला सहित आठ व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया जिनमें से चार की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।
CBI द्वारा पेश किए गए सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने 28 फरवरी 2015 को डीपी यादव, परनीत भाटी, करण यादव और पाल सिंह उर्फ लक्कडपाला को मामले में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लक्कडपाला को आर्म्स अधिनियम के तहत भी सजा सुनाई गई। डीपी यादव का बेटा विकास यादव भी दिल्ली की एक जेल में 2002 में हुए नितिश कटारा हत्याकांड में 25 साल के कारावास की सजा भुगत रहा है।
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