नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बदमाशों को एनकाउंटर का ख़ौफ सताने लगा है। यूपी वह प्रदेश है जहां कभी बदमाशों का बोलबाला होता था लेकिन अब पुलिस की तूती बोल रह है। यूपी के तमाम शहरों में अपराधियों के दिलों में ऐसी दहशत है कि उन्हें डर सता रहा है कि ना जाने कब पुलिस के हाथों किसी एनकाउंटर में उनकी जान चली जाए। इसी खौफ का नतीजा है कि अब बदमाशों ने जुर्म की दुनिया छोड़ने का फैसला कर लिया है। ऐसा करके बदमाशों में कम से कम इस बात का सुकुन तो है कि वो कभी पुलिस की किसी गोली का शिकार नहीं होंगे। अब ये बदमाश क्या कर रहे हैं ये हम आपको बताते हैं।
उत्तर प्रदेश में इन दिनों एनकाउंटर की दहशत से बदमाश थर-थर कांप रहे हैं। जान के ऐसे लाले पड़े हैं कि जान बचाने के लिए जो जेल के अंदर हैं वो बाहर आना नहीं चाहते और जो जेल से बाहर हैं उन्होंने जुर्म की दुनिया से तौबा कर ली है। कभी बंदूक से दहशत के खेल खेलते थे ये अपराधी लेकिन अब खुद ही दहशत में हैं कि पुलिस किसी गोली पर इनका ही नाम ना लिख दे इसलिए सुधरने में ही गनीमत समझ ली हैं।
यही हाल उत्तर प्रदेश के मेरठ में है। यहां ना जाने कितने हिस्ट्रीशीटर हैं जिन्होंने गुनाह के रास्ते से अपने कदम पीछे खींचने में ही भलाई समझी है। ऐसा ही एक शख्स है इमरान। कभी अपने इलाक़े में इमरान खौफ का दूसरा नाम होता था लेकिन योगी की पुलिस जिस अंदाज़ में अपराधियों को ठोक रही है उससे डर कर इमरान अपराध के नाम से भी दूर भागने लगा है। इमरान अब मेरठ में कबाड़ की दुकान चलाता है। ऐसा ही कुछ आकिल के साथ भी हुआ है। कभी अपने काम से लोगों के जेहन में दहशत पैदा करता था अकील लेकिन आज ख़ुद दहशत में हैं। आए दिन हो रहे एनकाउंटर और यूपी पुलिस के एक्शन के चलते इसने भी अब टायर पंचर की दुकान खोल ली है।
आलम ये है कि मेरठ में कोई बदमाश सब्ज़ियों का ठेला लगाने लगा है तो कोई रंगाई पुताई के काम में जुट गया है क्योंकि ये जानते हैं कि यूपी की पुलिस इन दिनों जिस तरह से एनकाउंटर के मोड में हैं कहीं इनकी भी ज़िंदगी की ज़मानत ना ज़ब्त हो जाए। बता दें कि यूपी में योगी सरकार के बनने के बाद से 930 से ज़्यादा एनकाउंटर हो चुके हैं। सिर्फ़ मेरठ ज़ोन में ही 370 एनकाउंटर हुए हैं।
यानी लखनऊ हो, मेरठ हो, नोएडा हो या बुलंदशहर, जो यूपी पुलिस अपराध होने के बाद मौका-ए-वारदात पर पहुंचती थी आज वो अपराधियों से दो कदम आगे चलकर उनको चुन चुनकर ठोक रही है। यही वजह है कि अपराधी भी बंदूक और कारतूस छोड़कर उस रास्ते पर निकल पड़े हैं जहां कम से कम ज़िंदा रहने की गारंटी हो।
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