नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को कहा कि उन्नाव बलात्कार पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो की तरफ से दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बारे में 19 अक्टूबर को विचार करेगी। इस हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गयी थी। एक अधिवक्ता ने इसकी जानकारी दी है। अधिवक्ता ने बताया कि यह आरोप पत्र 11 अक्टूबर को लखनऊ की अदालत में दायर किया गया था, जिसे सोमवार को जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत में भेजा गया।
उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद इस अदालत का गठन यहां किया गया है ताकि इससे संबंधित सभी पांचों मामलों की सुनवाई यहां हो सके। इन मामलों को उत्तर प्रदेश से यहां भेजा गया है। जांच ब्यूरो ने उन्नाव बलात्कार मामले में अपने पहले आरोप पत्र में निलंबित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनके सहयोगियों के खिलाफ हत्या के आरोप हटा दिये हैं।
महिला के साथ सेंगर ने कथित रूप से 2017 में बलात्कार किया था। पहला आरोप पत्र लखनऊ में विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया था है। इसमें जांच एजेंसी ने सेंगर और अन्य सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और आपराधिक रूप से डराने धमकाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी में नामजद आरोप लगाया है।
जांच एजेंसी की ओर से दर्ज प्राथमिकी में सेंगर और उसके नौ साथियों के खिलाफ कथित रूप से आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या के प्रयास और आपराधिक रूप से डराने धमकाने का आरोप लगाया था। उत्तर प्रदेश के राय बरेली जिले में 28 जुलाई को एक ट्रक और कार में भिड़ंत हो गयी थी, जिसमें बलात्कार पीड़िता गंभीर रूप से घायल हो गयी थी। पीड़िता कार में अपने रिश्तेदारों और अधिवक्ता के साथ जा रही थी।
शीर्ष अदालत के निर्देश पर महिला और उसके परिजनों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा दी गयी है। ट्रक चालक आशीष कुमार पाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अधीन मामला दर्ज किया गया है जिनमें लापरवाही से मौत, दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को नुकसान पहुँचाना और सार्वजनिक रास्ते पर लापरवाही से गाड़ी चलाना आदि शामिल है।
उन्होंने बताया कि सीबीआई के आरोप पत्र में पाल के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप नहीं है। हादसे के दिन पीड़ित महिला की सुरक्षा में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस का कोई कर्मी उसके साथ नहीं था। बाद में उन सभी को निलंबित कर दिया गया। हादसे के दो दिन बाद 30 जुलाई को जांच एजेंसी ने सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर, अरूण सिंह और सात अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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