लखनऊ। देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए टेस्टिंग को लगातार बढ़ाया जा रहा है और टेस्टिंग की वजह से ही उत्तर प्रदेश में कोरोना के ज्यादा मरीजों की पहचान हो सकी है जिन्हें आइसोलेट करने के बाद निगरानी को बढ़ाया गया है और अब राज्य में कोरोना के हालात काबू में नजर आ रहे हैं।
कोरोना मरीजों की पहचान के लिए उत्तर प्रदेश में अबतक करीब 4.5 करोड़ टेस्ट हुए हैं जिनमें से आधे से ज्यादा यानि 2.32 करोड़ टेस्ट राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए हैं। देशभर में कोरोना वायरस के जितने टेस्ट हुए हैं उनमें 14 प्रतिशत से ज्यादा टेस्टिंग अकेले उत्तर प्रदेश में ही हुई है। राज्य में शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग की गई है।
कोरोना मरीजों की पहचान के लिए उत्तर प्रदेश में सरकार ने लगभग 70 हजार निगरानी समितियां गठित की हैं जो गांव गांव घूमकर कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रयास की सराहना कि है। योगी सरकार के इन्हीं प्रयासों की मदद से मई के दौरान राज्य में कोरोना वायरस के एक्टिव मामलों में लगभग 52 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की कमी से न जूझना पड़े इसके लिए राज्य सरकार ने चिन्हित स्वास्थ्य केंद्रों में 10-15 बेड पर ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर की व्यवस्था की है।
इसके अलावा राज्य में लॉकडाउन की मार से गरीब लोगों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न वितरण हेतु राशन की दुकानों पर एक नोडल अधिकारी तैनात किया गया है और राज्य सरकार द्वारा माह जून, 2021 से पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क तीन माह तक खाद्यान्न वितरण का निर्णय किया गया है।
उत्तर प्रदेश में अब कोरोना के मामले पहले से कम देखने को मिल रहे हैं। सोमवार को राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 24 घंटों में 9391 नए कोरोना मामले दर्ज किए गए हैं और राज्य में अब कोरोना के एक्टिव मामलों का आंकड़ा भी घटकर 1.49 लाख रह गया है।
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