लखनऊ: मिशन 2022 के लिए उत्तर प्रदेश पहुंचे एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी नई कॉन्ट्रोवर्सी में घिर गए हैं। ओवैसी कल बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर गए थे जहां उन्होंने चादर चढ़ाई लेकिन उसी बहराइच में मौजूद राजा सुहेलदेव की स्मारक पर नहीं गए। राजा सुहेलदेव ने ही युद्ध में सैयद सालार मसूद गाजी को हराया था इसीलिए अब बीजेपी ने इसे लेकर ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर को निशाने पर ले लिया है। दिलचस्प बात ये है कि ओवैसी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर के साथ मिलकर ही यूपी में चुनाव लड़ रहे हैं और राजभर समाज के नायक राजा सुहेलदेव के स्मारक पर ना जाना सवाल खड़े करता है।
तो सवाल ये है कि क्या गाजी के सम्मान के चक्कर में ओवैसी ने राजभर समाज का अपमान कर दिया। दरअसल राजा सुहेलदेव की छवि राजभर समाज में हिंदू नायक के तौर पर है। भारत पर 17 बार आक्रमण करने वाले महमूद गजनवी के भांजे सैय्यद सालार मसूद गाजी को महाराजा सुहेलदेव ने 5 दिनों तक चले युद्ध में हराया था और मार दिया था। सुहेलदेव का सियासी महत्व ओम प्रकाश राजभर के लिए कितना अधिक है, इसका अंदाजा उनकी पार्टी के नाम से ही लगाया जा सकता है लेकिन ओवैसी के राजा सुहेलदेव के स्मारक पर ना जाने के बाद ओमप्रकाश राजभर पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ओवैसी के साथ बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर जाने के मसले पर सफाई देते हुए राजभर ने कहा कि वह गाजी की मजार पर नहीं गए थे। सुभासपा के अध्यक्ष राजभर ने ओवैसी के साथ बृहस्पतिवार को बहराइच में एक कार्यक्रम को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि वह ओवैसी के साथ उनकी पार्टी के कार्यालय के उद्घाटन के कार्यक्रम में शरीक हुए थे। ओवैसी सैयद सालार मसूद गाजी के मजार पर सजदा करने गए लेकिन वह उनके साथ मजार पर नहीं गए थे। उन्होंने कहा ओवैसी जी की व्यक्तिगत आस्था है, वह कहीं भी आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं। योगी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाने के मसले पर उन्होंने कहा कि भाजपा को शिगूफा छोड़ने की आदत हो गई है।
वहीं, बीजेपी ने इसे राजभर समाज का अपमान बताया है। योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि राजभर समाज सब देख रहा है और इसका जबाव देगा।
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