लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी डॉ. विक्रम सिंह ने कहा है कि लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नरों के अधिकार घटाने के परिणाम भयावह होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी सूचना है कि सीआरपीसी की धारा 133 और 145 के अधिकार पुलिस कमिश्नरों से वापस लिए जा रहे हैं, इसके भयावह परिणाम होंगे। पूर्व डीजीपी ने यह भी कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद और बिना किसी पूर्व अनुभव के लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरों ने काफी अच्छा काम किया है।
'दोनों कमिश्नरों ने प्रशंसनीय और अभूतपूर्व काम किया है'
पूर्व डीजीपी ने कहा, 'बहुत ही अपेक्षाओं के साथ और उम्मीदों के साथ पुलिस आयुक्त प्रणाली प्रदेश के 2 महानगरों, लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में प्रचलित की गई थी। सीमित संसाधनों के बावजूद और बिना किसी पूर्व अनुभव के इन दोनों पुलिस कमिश्नरों ने अच्छा काम किया। बदमाशों पर जो नकेल कसी गई और अपराधियों के खिलाफ जो अभियान चलाकर कार्रवाई की गई वह अपने में प्रशंसनीय और अभूतपूर्व है।' सिंह ने कहा कि इन कमिश्नरों ने आर्म्स ऐक्ट, एक्साइज ऐक्ट एवं आदि के संबंध में वांछित अधिकार प्रदत्त नहीं किए जाने के बावजूद अच्छी सफलता प्राप्त की।
‘ऐसे में पुलिस आयुक्त प्रणाली कामयाब नहीं हो सकती’
सिंह ने कहा, 'अब यह सूचना प्राप्त हो रही है कि सीआरपीसी की धारा 133 और 145 के अधिकार भी पुलिस कमिश्नरों से वापस लिए जा रहे हैं, इसके दूरगामी और भयावह परिणाम होंगे। पुलिस आयुक्त प्रणाली इस तरह की विकलांग व्यवस्था में कभी कामयाब नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि यूपी में भी दिल्ली और मुंबई समेत बाकी देश जैसी ही पुलिस आयुक्त प्रणाली होनी चाहिए और उन्हें पूरे अधिकार दिए जाने चाहिए।
‘योगी सरकार का नाम बदनाम करना चाहती है एक लॉबी’
पूर्व डीजीपी ने कहा कि प्रदेश में एक बहुत ही सशक्त लॉबी है जो योगी सरकार के पवित्र नाम को बदनाम करना चाहती है, और ऐसी कोशिशें कर रही है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली फेल हो जाए और शासन-प्रशासन एवं पुलिस की बदनामी हो। उन्होंने कहा, ‘मेरा योगी जी से विनम्र निवेदन है कि ऐसे तत्वों के ऊपर जरा कड़ी नजर रखें जो कि शासन-प्रशासन को बदनाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते।’
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