कांग्रेस अधिवेशन: विदेशी मोर्चे पर सरकार नाकाम, पाकिस्तान नीति एक आपदा
कांग्रेस के दो दिनों के अधिवेशन के आखिरी दिन मोदी सरकार के विदेश नीति की जमकर आलोचना की गई।
नई दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार को कहा कि मोदी सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं है और उसकी पाकिस्तान नीति एक आपदा है। कांग्रेस ने साथ ही कहा कि सरकार ने इस्लामाबाद के प्रति अपनी नीति को एक विभाजनकारी घरेलू मुद्दे का रूप दे दिया है। कांग्रेस ने विदेश नीति पर अपने प्रस्ताव में कहा है कि विदेश नीति की प्रमुख चुनौतियों में चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों का प्रबंधन शामिल है। प्रस्ताव में कहा गया है, "दो पड़ोसियों के बीच सांठ-गांठ से क्षेत्रीय संतुलन और स्थिरता के लिए चुनौती पैदा हो गया है।" कांग्रेस ने कहा है कि पाकिस्तान लगातार एक चुनौती बना हुआ है और उसकी नीतियों में सीमा पार आतंकवाद के इस्तेमाल में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं है। पार्टी के 84वें अधिवेशन में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विदेश नीति पर प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा, "नियंत्रण रेखा और हमारी सीमाओं पर पाकिस्तानी सशस्त्र बलों द्वारा गोलाबारी समेत शत्रु की कार्रवाई बढ़ी है। इसमें दो राय नहीं कि इस कार्रवाई को उचित जवाब की जरूरत है।"
प्रस्ताव में कहा गया है, "ठोस जवाबी कार्रवाइयों के साथ सीमा पार आतंकवाद से मुकाबला करने के मुद्दे पर पूरे देश में सहमति है। लेकिन यह खेदजनक है सरकार पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति को एक विभाजनकारी घरेलू मुद्दे का रूप देकर इस सहमति को कमजोर कर रही है।" प्रस्ताव में कहा गया है, "पाकिस्तान के प्रति अधिक प्रभावी और आक्रामक नीति के दावे खोखले हैं और इसके अभी तक कोई सकरात्मक नतीजे नहीं आए हैं।"
पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान अंतर्राष्ट्रीय धारणा भारत-पाकिस्तान की तुलना करने की दीर्घकालिक परंपरा को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया गया था। प्रस्ताव में कहा गया है, "यह चिंता का विषय है कि पूरे विश्व का ध्यान भारत-पाकिस्तान के तनाव पर नए सिरे से केंद्रित हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप फिर से पहले जैसे हालात बनने का खतरा पैदा हो रहा है।" प्रस्ताव में यह भी कहा गया है, "कांग्रेस का मानना है कि भाजपा सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं है और उसकी पाकिस्तान नीति एक आपदा है।"