योगी के निवास पर पहुंचा गायत्री प्रजापति का परिवार, CM ने किया मिलने से इंकार
पूर्व मंत्री और बलात्कार के आरोप में जेल में बंद गायत्री प्रजापति की पत्नी और बेटियां आज सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके निवास पर गये, मगर मुख्यमंत्री ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया।
लखनऊ: पूर्व मंत्री और बलात्कार के आरोप में जेल में बंद गायत्री प्रजापति की पत्नी और बेटियां आज सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके निवास पर गये, मगर मुख्यमंत्री ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया।
मुख्यमंत्री आवास के बाहर गायत्री की पत्नी ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री ने उनसे मिलने से इंकार किया लेकिन वहां मौजूद एक मंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी बात सुनी जायेगी। उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि हमारे पति को न्याय मिलेगा। हम निराश हैं लेकिन हम फिर मुख्यमंत्री से मिलने आयेंगे।
गायत्री की बेटी ने डबडबायी आंखों से मीडिया से कहा, मेरे पिता को फंसाया जा रहा है। वह निर्दोष है और हमें और हमारे परिवार को न्याय चाहिये। हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जी हमारी बात सुनेंगे और हमारे परिवार को न्याय मिलेगा। हम फिर मुख्यमंत्री से मिलने आयेंगे और हमें इंसाफ मिलेगा।
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गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गायत्री के खिलाफ गत 17 फरवरी को एक महिला से बलात्कार और उसकी बेटी से दुराचार की कोशिश करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। करीब महीने भर फरार रहने के बाद प्रजापति को 15 मार्च को आशियाना क्षेत्र से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था। इस मामले में प्रजापति के अलावा छह अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
इससे पहले प्रजापति ने गिरफ्तारी पर स्थगनादेश के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन शीर्ष अदालत ने उनसे संबद्ध अदालत से संपर्क करने को कहा था। गिरफ्तारी के समय प्रजापति ने दावा किया था कि वह निर्दोष हैं और उन पर लगाये गये आरोपों का मकसद उनकी छवि खराब करना है।
गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद गायत्री को विशेष अदालत से राहत जरूर मिली लेकिन एक स्थानीय अदालत ने 26 अप्रैल को उन्हें पृथक मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
बलात्कार के मामले में गत 25 अप्रैल को जमानत मिलने के बाद अगले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दर्ज मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संध्या श्रीवास्तव ने प्रजापति को न्यायिक हिरासत में भेजा था।
भाजपा ने प्रजापति के खिलाफ लगे आरोपों को चुनावी मुद्दा बनाया था और इसके जरिए अखिलेश यादव सरकार पर बडा हमला बोला था। भाजपा ने उस समय अखिलेश पर आरोप लगाया था कि वह अपने दागी मंत्री को बचाने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि सपा ने इस आरोप से इंकार किया था।