बरेली (उप्र): 'मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।' फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही बरेली की एक छात्रा ने इस कहावत को चरितार्थ करते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर से मिली सांसों के साथ हाई स्कूल की परीक्षा दी और उसे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। बरेली के शाहबाद मोहल्ले में रहने वाली सफिया जावेद ने इस साल राजकीय बालिका इंटर कालेज में बने केन्द्र में यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा दी थी। यह कोई आम बात नहीं थी क्योंकि सफिया पिछले पांच साल से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही है।
सफिया की मां आमना जावेद ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि उनकी बेटी पास तो हो जाएगी लेकिन शनिवार को जब परीक्षा परिणाम आए तो साफिया ने 69 फीसद अंक हासिल किये। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की सांसों की रवानी ऑक्सीजन सिलेंडर पर टिकी है। तमाम दुश्वारियों के बावजूद सफिया ने हाईस्कूल की परीक्षा दी। इस दौरान उसके परिजन भारी भरकम ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ उसे परीक्षा दिलाने ले आते थे।
शनिवार को जब परीक्षा का परिणाम आया तो उसने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करके सभी को निहाल कर दिया। आमना ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। वह पिछले पांच साल से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही है लेकिन इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी। बाकी कोई बच्चा होता तो शायद वह मायूस हो चुका होता लेकिन सफिया ने जबरदस्त जज्बा दिखाया और घरवालों से जिद करके परीक्षा देने गई।
बरेली के संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रदीप कुमार ने बताया कि सफिया बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के परीक्षा नहीं दे सकती थी। समस्या यह थी कि ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर उसे परीक्षा केंद्र में प्रवेश कैसे दिया जाये। हालांकि उन्होंने राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के केंद्र व्यवस्थापक को आदेश दिया जिसके बाद सफिया को ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ परीक्षा देने की इजाजत दे दी गई उन्होंने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है सफिया इन मुश्किल हालात में परीक्षा देकर न सिर्फ उत्तीर्ण हुई बल्कि उसे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया।
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