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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बाद अब बसपा ने भी पकड़ी ‘साफ्ट हिंदुत्व’ की राह!

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बाद अब बसपा ने भी पकड़ी ‘साफ्ट हिंदुत्व’ की राह!

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सपा,कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी अब सॉट हिन्दुत्व की राह में चलने की कोशिश में लगी है।

Uttar Pradesh Assembly Elections, Uttar Pradesh Assembly Elections BSP, Uttar Pradesh Assembly Elect- India TV Hindi Image Source : INDIA TV उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सपा,कांग्रेस के बाद बसपा भी अब सॉट हिन्दुत्व की राह में चलने की कोशिश में लगी है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सपा,कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी अब सॉट हिन्दुत्व की राह में चलने की कोशिश में लगी है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस प्रकार से बसपा ने अयोध्या से ब्राम्हण सम्मेलन प्रबुद्घ वर्ग संगोष्ठी की शुरुआत की है उसके पहले हनुमान गढ़ी फिर रामलला के दर्शन अपने कार्यकाल में मंदिर निर्माण पूरा कराने या मथुरा, काशी में होने वाले सम्मेलन की बात से संकेत हैं कि आने वाले समय में बसपा भी सॉट हिन्दुत्व की लाइन को पकड़कर चलने जा रही है।

ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश में जुटी है बसपा
वर्ष 2007 में बसपा ने ब्राम्हणों के साथ सोशल इंजीनियरिंग करके सत्ता पाई थी। ठीक उसी तर्ज पर इस बार भी कवायद शुरू कर दी गयी है। बसपा की विचार गोष्ठी के जारिए ब्राम्हणों को साधने की कोशिश तेज कर दी गयी है। अयोध्या में हुए सम्मेलन में भी बसपा ब्राम्हणों के जरिए हिन्दुओं को रिझाने की कोई कसर नहीं छोड़ी है। मंच पर गेरूआ वस्त्रधारी साधु, शंख घड़ियाल बजाते वैदिक मंत्र वाले पंडित, मंच पर परशुराम के साथ जय श्री राम के नारे इसी तरह के सम्मेलन अन्य धार्मिक स्थलों पर करने की बात कह हिन्दुओं पर डोरे डालने का खूब प्रयास किया गया।

‘वर्तमान में ब्राह्मणों को दबाया जा रहा है’
बसपा नेता व पूर्व मंत्री नकुल दुबे कहते हैं कि बसपा ने 2007 में ब्राम्हणों के लिए जो मुहिम चलाई वह अभी तक दिख रहा है। वर्तमान में ब्राम्हणों को दबाया जा रहा है। इनके खिलाफ राज्य में एक गंदा माहौल बन दिया गया है। किसी न किसी को तो आवाज उठानी पड़ेगी। भारतीय जनता पार्टी के द्वारा इस समाज को निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कारण सही समय में उन्हें आंदोलित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोग मंदिर को राजनीति का हिस्सा नहीं बनाएंगे। सपा ने ब्राम्हण समाज के साथ में क्या किया वह किसी से छुपा नहीं है। इनकी कथनी करनी में सामनता तो होनी चाहिए।

‘पूरे प्रदेश में प्रबुद्घ वर्ग के सम्मेलन होंगे’
दुबे ने कहा कि भाजपा को बढ़ाने वाला भी ब्राम्हण समाज है। इस समाज का भाजपा ने इस्तेमाल तो किया है लेकिन भागीदारी की बात होती है तो यह लोग पीछे हट जाते हैं। दुबे ने बताया कि सतीश मिश्रा ने ऐलान किया है कि 2017 और उससे पहले के भी जिन लोगों पर अनावश्यक और अवैधानिक रूप से फंसाया जा रहा है। अगर वह हमारे पास आते हैं तो उनकी निशुल्क मदद की जाएगी। पूरे प्रदेश में प्रबुद्घ वर्ग के सम्मेलन होंगे। वहां के धार्मिक स्थलों पर भी जाया जाएगा। इसमें आश्यर्च पर कोई बात तो नहीं होनी चाहिए।

‘भाजपा वर्तमान में तमाम मोर्चो पर जूझ रही है’
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि बसपा एक ऐसी पार्टी है जिसने हर प्रकार के कम्बिनेशन का प्रयोग किया और सत्ता पायी है। चाहे सपा हो या भाजपा इन दोनों पार्टियों के साथ बसपा ने सरकार बनायी है। ब्राम्हण और मुस्लिमों के साथ भी पार्टी रही है। भाजपा के साथ उन्हें सॉट हिन्दुत्व का साथ मिला है। भाजपा वर्तमान में तमाम सारे मोर्चो पर जूझ रही है। तो ऐसे में वह एक विकल्प के तौर पर आना चाहती है जो मुस्लिम को दूर बनाएं रखता है, लेकिन हिन्दुत्व को मुद्दों को साथ लेकर चलना चाहती है। यह ऐसा कम्बिनेशन है इसे लेकर सभी पार्टियां चलना चाहती हैं चाहे सपा या कांग्रेस हो।

‘सनातन परंपरा को सभी को स्वीकार करना पड़ेगा’
भाजपा सबको साथ लेने के चक्कर में अलोकप्रिय होती जा रही है। यह ऐसा कम्बिनेशन है जो सबसे सफल हो सकता है। बसपा की ब्राम्हणों की जोड़ने की कवायद के लिए धार्मिक स्थलों को चुनना इस बात का साफ संकेत है। विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत प्रचार प्रमुख अनुराग कहते हैं कि कांग्रेस, सपा, बसपा अगर मंदिर-मंदिर जा रहे तो यह अच्छी बात है। भगवान इन सभी लोगों को सदबुद्धि दे रहा है। ईश्वर से जुड़ना बहुत अच्छी बात है। सनातन परंपरा को तो सभी को स्वीकार करना ही पड़ेगा। यह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत हैं। मंदिर बनवाने की बात पर वीएचपी के प्रवक्ता ने कहा यह तो अच्छी बात उन्हें अन्य धार्मिक स्थल भी बनवाने पर ध्यान देना चाहिए।

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