लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल में किसान नेताओं को नोटिस जारी कर निजी मुचलका भरने के प्रशासनिक फरमान को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। यादव ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ''उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार प्रदर्शनकारी किसानों पर प्रति किसान 50-50 लाख रुपये के मुआवजे के मुकदमे कर रही है जबकि सुप्रीम कोर्ट किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को वैधानिक मान्यता दे चुका है।'' उन्होंने कहा, ''बीजेपी जैसी जन विरोधी सरकार आज तक नहीं आई।''
बता दें कि संभल में कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस की रिपोर्ट पर प्रशासनिक कार्रवाई की गई है। संभल के एसडीएम दीपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को कहा था, ''हमें हयात नगर थाने से रिपोर्ट मिली थी कि कुछ लोग किसानों को उकसा रहे हैं और इससे शांति भंग होने की आशंका है। प्रत्येक से 50 लाख रुपये के मुचलके पर पाबंद किया जाये।'' एसडीएम ने कहा, ''किसानों ने कहा कि यह बहुत ज्यादा है फिर दोबारा थानाध्यक्ष ने दूसरी रिपोर्ट दी जिसमें इन लोगों को 50-50 हजार रुपये के मुचलके से पाबंद किया गया।''
उल्लेखनीय है कि जिन छह किसानों को नोटिस दिया गया, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली) संभल के जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव और अन्य किसान नेता जयवीर सिंह, ब्रम्हचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शामिल हैं। राज पाल सिंह यादव ने कहा, ''हम यह मुचलका किसी भी हालत में नहीं भरेंगे, चाहे हमें जेल हो जाए, चाहे फांसी हो जाए। हमने कोई गुनाह नहीं किया है, हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।''
वहीं भारतीय किसान यूनियन (असली) के मंडल अध्यक्ष संजीव गांधी ने कहा, ''हम 5-6 लोगों के खिलाफ भी मुचलके के लिए पुलिस वाले आए थे लेकिन हमारे परिवार वालों ने दस्तख़त नहीं किए।'' इस बीच विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने एक बयान जारी कर शुक्रवार को कहा कि कृषि क़ानूनों को लेकर विपक्ष नहीं, सत्ता पक्ष देश को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत सरकार और बीजेपी नेतृत्व वाली राज्य सरकारें अंबानी और अडानी समूह के वर्कर के रूप में काम कर रही हैं।
चौधरी ने कहा कि कृषि सम्बन्धी यह तीनों कानून लागू हो गए तो खेती बारी और किसानी अडानी, अंबानी समूह और उनके गिरोह के कॉरपोरेट के हाथ में होगी। उन्होंने किसान आंदोलन की हिमायत करते हुए कहा, ''इस आंदोलन में अब तक बीस किसान शहीद हो चुके हैं। इससे व्यथित होकर एक संत अपनी जान दे चुके हैं। इसके बाद भी सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने अभी तक इन शहीद परिवारों के आंसू पोछने की कोशिश भी नहीं की।''
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