बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी जिले में एक चौंकाने वाली घटना में एक दिव्यांग को अपने पिता का शव ठेले पर ले जाना पड़ा क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास शववाहन नहीं था। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद बाराबंकी के डीएम अखिलेश तिवारी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और रेवेन्यू डिपार्टमेंट की टीम को तथ्यों की जांच करने को कहा है।
क्या है पूरा मामला?
त्रिवेदीगंज का राजकुमार अपनी बहन मंजू के साथ अपने बीमार पिता मंशाराम को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज करवाने के लिए ले गया था। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मंशाराम को मृत घोषित कर दिया और राजकुमार से अपने पिता के शव को वापस ले जाने को कहा।
अपने पिता के शव को प्राइवेट गाड़ी से वापस ले जाने के लिए राजकुमार के पास पैसे नहीं थे। उसने पैसों का इंतजाम करने की भी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। हार-थक कर कुछ घंटों के बाद दिव्यांग राजकुमार ने ने किसी तरह अपने पिता के शव को ले जाने के लिए एक हाथ से चलने वाले ठेले का इंतजाम किया।
अपने पिता के शव को ठेले में लादकर दोनों भाई-बहन 8 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे। दोनों के पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे। जिसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से राजकुमार ने अपने पिता का दाह संस्कार किया। वहीं, मामला सामने आने के बाद बाराबंकी के डीएम अखिलेश तिवारी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
मरीज की मौत को लेकर त्रिवेदीगंज CHC के डॉक्टर प्रदीप कुमार ने कहा कि, मरीज जब तक यहां पहुंचा उसकी मौत हो चुकी थी। CHC में शव भेजने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं हो पाया।
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