बलिया. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र के दलनछपरा गांव में कोविड-19 महामारी ने एक ही परिवार के चार बच्चे अनाथ कर दिये। बिहार की सरहद से सटे जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर स्थित दलनछपरा गांव के अंकुश के पिता संतोष पासवान की तीन साल पहले कैंसर से मौत हो गई थी और अब कोविड-19 महामारी ने काजल, रूबी, रेनू उर्फ सुबी और अंकुश के सिर से मां का साया भी छिन लिया।
मां के असामयिक निधन के बाद भी सात साल के अंकुश के हौसले बुलंद हैं और वह अपनी बहनों की जिम्मेदारी उठाने को तैयार है। वह बड़ा होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहता है। लेकिन अंकुश की बहनें मायूस हैं। वे कहती हैं कि अब सब कुछ भगवान भरोसे है और उन्हें दूसरे के खेतों में मजदूरी कर गुजर बसर करना होगा।
जिलाधिकारी अदिति सिंह से इस मामले में जिला प्रशासन के कदम को लेकर पूछा गया, लेकिन उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया। हालांकि बैरिया के उप जिलाधिकारी प्रशांत नायक ने बताया कि घटना से वह अवगत हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इन बच्चों के परिवार का कोई और सदस्य अगर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी लेता है तो इनके भरण पोषण के लिए हर महीने दो हजार रुपये छात्रवृत्ति के रूप में 18 वर्ष की उम्र होने तक दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई बच्चों की जिम्मेदार नहीं लेता है तो ऐसी स्थिति में बाल संरक्षण केंद्र के माध्यम से बच्चों को शेल्टर होम में रखा जाएगा।’’ यह गांव स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद का ससुराल है। डॉ राजेन्द्र प्रसाद की पत्नी राजवंशी देवी का इसी गांव में मायका है।
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