अयोध्या: ठंड से बचने के लिए गायें पहनेंगी कोट
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जहां एक तरफ राममंदिर निमार्ण का मार्ग प्रशस्त हो गया है, वहीं अयोध्या की गायों के दिन भी बहुरने वाले हैं। नगर निगम इन्हें ठंड से बचाने के लिए जूट के कोट पहनाने की तैयारी कर रहा है।
अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जहां एक तरफ राम मंदिर निमार्ण का मार्ग प्रशस्त हो गया है, वहीं अयोध्या की गायों के दिन भी बहुरने वाले हैं। नगर निगम इन्हें ठंड से बचाने के लिए जूट के कोट पहनाने की तैयारी कर रहा है। अयोध्या में राममंदिर और गोरक्षा सरकार के एजेंडे में है। इसे ध्यान में रखते हुए नगर-निगम यह कदम उठाने जा रहा है। निगम ने साधु-संतों और अन्य लोगों से विचार-विमर्श बाद गायों को ठंड से बचाने की दिशा में यह निर्णय लिया है।
अयोध्या में गायों को ठंड से बचाने के लिए उम्दा इंतजाम किए जा रहे हैं। यहां की बैसिंग स्थित गौशाला में गाय को ठंड से बचाने के लिए काऊ कोट के इंतजाम किए जा रहे हैं। यह व्यवस्था दो-तीन चरणों में लागू होगी, क्योंकि यहां पर गायों की संख्या 1,200 है इसलिए पहले यहां पर 100 बछड़ो के लिए कोट तैयार कराए जा रहे हैं। बछड़ो के लिए तीन लेयर वाला कोट बनाया जा रहा। पहले मुलायम कपड़ा उसके बाद फोम फिर जूट लगाकर इसे बनाया जाएगा। पहले कपड़ा इसलिए कि यह बच्चों को गड़े नहीं। फिर फोम इस वजह से कि गीली जगह बैठने पर वह आसानी से सोख ले और जूट गमार्हट प्रदान करने के काम आएगा। इसका सैम्पल तैयार हो गया है। नवम्बर खत्म होते ही यहां पर डिलीवरी हो जाएगी। इसकी कीमत 250 रुपये और 300 रुपये के बीच में आएगी।
नर और मादा पशुओं के लिए भी अलग-अलग डिजाइन होगी। नर पशुओं के लिए कोट केवल जूट का होगा, क्योंकि उन्हें पहनाने में दिक्कत होती है। मादा के लिए दो लेयर का कोट बनेगा। इसे डॉगी स्टाइल से बांधने की व्यवस्था होगी, ताकि सभी गायें और उनके बच्चे यह कोट पहनकर शीतलहरी से बच सकें। इसके अलावा गौशाला में सभी जगह गायों को ठंड से बचाने के लिए अलाव जलाया जाएगा। इसके अलावा सभी कमरों में जूट के पर्दे की भी व्यवस्था की जाएगी। जानवरों के जमीन पर नीचे बैठने के लिए पुआल डाली जा रही है। इसको एक-दो दिन में बदला भी जा रहा है। इसे मॉडल गौशाला के रूप में विकसित करने की योजना है।
अयोध्या के महापौर ऋषिकेष उपाध्याय ने बताया कि गौ माता पर हमारा पूरा फोकस है। उन्हें काऊ कोट के अलावा शीत लहरी से बचाने के लिए जो भी इंतजाम होंगे, वह अयोध्या नगर-निगम करेगी। इसे हम लोग एक बेहतरीन गौशाला के रूप में धीरे-धीरे विकसित कर रहे हैं।