प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शादी के लिए 21 वर्षीय युवती का अपहरण करने और गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी एक शादीशुदा व्यक्ति की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एस. के. यादव ने एटा निवासी जावेद उर्फ जाबिद अंसारी द्वारा दायर अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 15 (1) धर्म परिवर्तन की अनुमति देता है, लेकिन यह बलपूर्वक धर्म परिवर्तन की अनुमति नहीं देता। मुकदमे के मुताबिक, 17 नवंबर, 2020 को पीड़िता स्थानीय बाजार गई, लेकिन लौटी नहीं।
मुकदमे के मुताबिक, कुछ समय बाद उसके पिता तलाश में गए और उन्हें स्थानीय लोगों से पता चला कि आरोपी जावेद ने अपने 2 सालों के साथ मिलकर उसका अपहरण कर लिया है। पीड़िता के पिता ने स्थानीय पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप है कि जावेद पहले से शादीशुदा है, लेकिन उसने पीड़िता का अपहरण किया और शादी के उद्देश्य से बलपूर्वक उसका धर्म परिवर्तन किया जोकि उत्तर प्रदेश गैर-कानूनी धर्म परिवर्तन निषेध कानून की धारा 5 (1) के तहत निषिद्ध है।
पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में कहा कि 17 नवंबर, 2020 को उसका अपहरण किया गया और उसे नई दिल्ली स्थित कड़कड़डूमा अदालत में एक वकील के चैंबर में ले जाया गया और कुछ वकीलों की उपस्थिति में उससे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। ये दस्तावेज उर्दू में थे और वह पूरे होश में नहीं थी। अदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी और कहा कि पीड़िता से उर्दू में लिखे निकाहनामा में हस्ताक्षर कराए गए जिसे वह समझ नहीं सकती थी।
अदालत ने साथ ही कहा कि इसके अलावा वह व्यक्ति पहले से शादीशुदा है और केवल शादी के लिए पीड़िता का धर्म परिवर्तन किया गया। यह आदेश गत 20 जुलाई को पारित किया गया और 30 जुलाई को अपलोड किया गया।
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