लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार की ‘कलाकारी’ का परिणाम राज्य की जनता भुगत रही है और उसके सब्र का बांध टूट रहा है। उन्होंने एक बयान में कहा कि जनता को सिर्फ 2022 के विधानसभा चुनाव का इंतजार है, जब वह बीजेपी के नेताओं से उनके वादों का हिसाब लेगी। सपा नेता ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में रोजगार जगह-जगह बिखरा हुआ है लेकिन रेत से तेल निकालने की कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है।
‘हवाई पुल बांधने में बीजेपी का जवाब नहीं’
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, 'हवाई पुल बांधने में बीजेपी का कोई जवाब नहीं है। किसान, नौजवान सब परेशान हैं और सरकार के चार वर्ष होने को हैं किंतु अभी तक जनता को कोई अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो सका है, फिर भी वे अपनी खोखली उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटते जाते हैं और इसे ही ढिंढोरची सरकार कहते हैं।' उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जब रोजगार बंद हो गए थे, फैक्ट्रियों में छंटनी हो रही थी और लोग अपनी जान बचाने के लिए सिर पर गठरी लादे, मासूम बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साथ पैदल रिक्शा, साइकिल या अन्य साधनों से पलायन कर रहे थे, तब भी ‘आपदा में अवसर’ का खूब बहाना चला।
‘विज्ञापनों से नाकामी छुपाने की कोशिश’
अखिलेश ने आरोप लगाया कि अभी हालात पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं, तब भी 1.9 करोड़ रोज़गार के सृजन के हवा-हवाई दावे किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ‘लोकतंत्र में निर्लज्जता’ की पराकाष्ठा है। अखिलेश ने कहा कि खुद सरकार के आंकड़ों पर ही विश्वास किया जाए तो शैक्षिक संस्थाओं, मेडिकल संस्थानों और सरकारी विभागों में लाखों पद रिक्त हैं। नौकरियों में भर्ती पर विवाद थम नहीं रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार जनता, खासकर नौजवानों को ‘ठगने’ के लिए बड़े-बड़े विज्ञापनों पर सरकारी धन खर्च कर अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रही है।
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