समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अमर सिंह के निधन पर ट्वीट कर दुख व्यक्त किया
राज्यसभा सांसद और सपा के पूर्व नेता अमर सिंह के निधन पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुख व्यक्त किया है।
लखनऊ। राज्यसभा सांसद और सपा के पूर्व नेता अमर सिंह के निधन पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुख व्यक्त किया है। अखिलेश यादव ने ट्विट करते हुए लिखा है कि 'श्री अमर सिंह जी के स्नेह-सान्निध्य से वंचित होने पर भावपूर्ण संवेदना एवं श्रद्धांजलि'।
बता दें कि पिछले 6 महीने से सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज करा रहे अमर सिंह का आज शनिवार को निधन हो गया है। अमर सिंह का हाल के दिनों में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। बताया जा रहा है कि पिछले डेढ़ महीने से अमर सिंह आईसीयू में भर्ती थे।अमर सिंह का दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा था, लेकिन आज पेट में इंफेक्शन फैलने से तबीयत बिगड़ी थी। अमर सिंह का पार्थिव शरीर परिजनों को सौंप दिया गया है जो दिल्ली लाया जाएगा।
अमर सिंह के निधन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख व्यक्त किया है। राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'वरिष्ठ नेता एवं सांसद श्री अमर सिंह के निधन के समाचार से दुःख की अनुभूति हुई है। सार्वजनिक जीवन के दौरान उनकी सभी दलों में मित्रता थी। स्वभाव से विनोदी और हमेशा ऊर्जावान रहने वाले अमर सिंहजी को ईश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनके शोकाकुल परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएँ।'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अमर सिंह के निधन पर ट्वीट कर दुख व्यक्त किया है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 'ईश्वर श्री अमर सिंह जी की आत्मा को अपने श्रीचरणों में शरण दें। श्री अमर सिंह जी के परिवार के प्रति मेरी भावपूर्ण संवेदनाएं। मैं इस दुखद क्षण में उनकी शोक संतप्त पत्नी और बेटियों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करती हूँ।'
उत्तर प्रदेश की राजनीति में अमर सिंह का खास योगदान रहा है। अमर सिंह 2010 से समाजवादी पार्टी से निकल गए थे। अमर सिंह 1995 में मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आए और कुछ ही समय में दोनों एक-दूसरे के बेदह करीब आ गए। उल्लेखनीय है कि अमर सिंह कभी समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते थे, लेकिन कुछ आपसी मतभेद के कारण साल 2010 में उन्होंने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक मंच का गठन किया। इसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में से 360 पर प्रत्याशी उतारे लेकिन वह एक भी सीट जीतने में नाकामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल से लोकसभा का भी चुनाव लड़ा था, यहां भी उन्हें जीत नहीं मिली थी।