नई दिल्ली: आखिरकार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों की पिता-पुत्र की जोड़ी को सरकारी बंगले छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। मुलायम सिंह और अखिलेश यादव को सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद लखनऊ में सरकारी बंगले से अपना बोरिया-बिस्तर लपेटना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव के बंगले सटे हैं और दोनों ही बंगले यूपी की राजधानी लखनऊ के सबसे वीवीआईपी इलाका विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित है।
मुलायम और अखिलेश ने पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर मिले अपने सरकारी बंगले को खाली करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मांगी थी। मुलायम ने अपनी अर्जी में बढ़ती उम्र और गिरती सेहत का हवाला देते हुए अदालत से बंगला खाली करने को लेकर रियायत देने की मांग की थी। मुलायम ने इसके लिए 2 साल का वक्त मांगा था और इस दौरान अपने लिए समुचित घरों का इंतजाम करने की बात भी कही थी लेकिन कोर्ट ने जुलाई से पहले याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया जिसके बाद अखिलेश और मुलायम ने सरकारी बंगले को खाली करने के फैसला किया।
गुरुवार को लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग पर बंगला नंबर चार और पांच से सामान से भरी गाड़ियां बाहर निकलतीं दिखाई दी। इसी बीच, अखिलेश यादव ने राज्य संपत्ति विभाग को चिट्ठी लिखकर वीवीआईपी गेस्ट हाउस में कुछ कमरे देने की गुजारिश की है। अखिलेश और मुलायम के अलावा लखनऊ में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह, बिएसपी अध्यक्ष मायावती और नारायण दत्त तिवारी को भी पूर्व मुख्यमंत्री के कोटे से बंगले मिले हुए हैं।
इनमें से राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह ने बंगले लगभग खाली कर दिए हैं जबकि मायावती ने 6 लाल बहादुर शास्त्री मार्ग का बंगला तो खाली कर दिया है लेकिन जिस 13A माल एवन्यू के बंगले के लिए उन्हें नोटिस मिला है वो बंगला अभी खाली नही हुआ है। मायावती का कहना है कि 13A माल एवंन्यू के बंगले में कांशीराम विश्राम स्थल है। नारायण दत्त तिवारी का माल एवंन्यू का बंगला खाली नही हुआ है। इस बंगले में भी कल पंडित नारायण दत्त तिवारी सर्वजन विकास फाउंडेशन का बोर्ड लग गया है।
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