सड़क से सदन तक आरक्षण विरोधी प्रावधान के खिलाफ लड़ा जाएगा: अजय कुमार लल्लू
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बाबा साहेब को खत्म करने की साजिश रची जा रही है, इसके खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक लड़ा जाएगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस समेत अन्य परीक्षाओं की भर्ती में आरक्षण के प्रावधान में किये गये बदलावों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "यूपीपीएससी के द्वारा आरक्षण के प्रावधान में बदलाव करना संविधान में वर्णित न्याय की संकल्पना यानी "सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय" का खुला उल्लंघन है।"
उन्होंने कहा, "उप्र लोकसेवा आयोग का निर्णय कि आयोग की सभी परीक्षाओं के अंतिम चयन परिणाम में अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग की ओवरलैपिंग नहीं हो सकेगी, यह पूरी तरह से संविधान के ख़िलाफ़ है। यह आरक्षित वर्ग को उनके अधिकारो से वंचित करने का षड्यंत्र है। सरकार या आयोग यह तर्क देकर नहीं बच सकते कि हाईकोर्ट के किसी आदेश के अंतर्गत ऐसा किया जा रहा है।"
अजय कुमार लल्लू ने कहा, "यदि कोई न्यायिक अड़चन है तो यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि उसे दूर कर संविधान के अंतर्गत आरक्षण की व्यवस्था को लागू कराये, जिससे लाखों पिछड़ो/दलित वर्ग के छात्रों के अधिकारों का हनन न हो पायें।" उन्होंने कहा कि "बाबा साहेब को खत्म करने की साजिश रची जा रही है, इसके खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक लड़ा जाएगा।"
बता दें कि यूपीपीएससी ने निर्णय लिया है किसी परीक्षा में जिनमे प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा ,साक्षात्कार और स्क्रीनिंग परीक्षा शामिल है। उसमें किसी भी स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण का लाभ लेने की स्थिति के संबंध में अभ्यर्थी को उसी की श्रेणी में चयनित किया जाएगा भले ही अंतिम चयन परिणाम में उसका कटऑफ अनारक्षित वर्ग के बराबर या अधिक हो ।
जबकि, सन 1992 में इंदिरा साहनी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया था कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी से ज्यादा अंक प्राप्त किए तो उसका अंतिम चयन अनारक्षित वर्ग में कर दिया जाएगा। इंदिरा साहनी के फैसले के आधार पर 17 सितंबर 2019 को जस्टिस नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ ने यह निर्णय दिया था कि हर प्रतिभागी सामान्य वर्ग का होता है चाहे वह कैंडिडेट पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति का भी क्यों ना हो।