इलाहाबाद: वंदे मातरम् विवाद अब इलाहाबाद नगर निगम भी पहुंच गया। यहां कार्यवाही की शुरूआत में राष्ट्रगीत के गायन को अनिवार्य बनाए जाने के प्रस्ताव का समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने जोरदार विरोध करते हुए हंगामा किया। इससे कुछ ही दिन पहले मेरठ और वाराणसी में भी नगर निगमों में इस मामले पर हंगामा देखने को मिला था। इलाहाबाद नगर निगम में यह हंगामा कल उस समय हुआ जब भाजपा के पार्षद गिरिशंकर प्रभाकर ने कार्यवाही की शुरूआत में राष्ट्रगीत और अंत में राष्ट्रगान गाने का प्रस्ताव रखा। अतहर रजा और सुशील यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने इसका जमकर विरोध किया।
उन्होंने ऐसे समय में नया नियम बनाए जाने पर आपत्ति जताई जब सदन का कार्यकाल खत्म होने में कुछ ही महीने बाकी हैं। इस शोरगुल और हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही कुछ घंटों के लिए स्थगित रही, लेकिन कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर महापौर अभिलाषा गुप्ता ने प्रभाकर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके बाद नगर निगम के सदस्यों ने वंदे मातरम् गाया। प्रदर्शन कर रहे सदस्य विरोध में नगर निगम परिसर छोड़कर चले गए, जबकि सदन की कार्यवाही जन गण मन गायन के साथ संपन्न हुई।
भाजपा के पार्षदों ने बाद में आरोप लगाया कि वंदे मातरम् गाए जाने के दौरान प्रदर्शनकारी पार्षद बैठे रहे जो राष्ट्रगीत का अपमान करने जैसा है। महापौर ने संवाददाताओं को बताया, हमें इस बारे में शिकायत मिली है। सीसीटीवी फुटेज देखी जा रही है जिससे इन आरोपों की सच्चाई पता चल सके। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता रजा ने संवाददाताओं से कहा, वंदे मातरम् का राजनीतिकरण हमेशा से ही भाजपा की चाल रही है। हमारा विरोध राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रगान के खिलाफ नहीं है, बल्कि अगले निकाय चुनावों से पहले एक नया चलन शुरू करने के खिलाफ है।
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