लखनऊ: प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये पांच एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने को लेकर उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल की रजामंदी को बोर्ड का नितांत निजी मामला बताया है। आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने मंत्रिमण्डल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बोर्ड, उससे जुड़ी प्रमुख तंजीमों और लगभग सभी मुसलमानों का फैसला है कि हम अयोध्या में मस्जिद के बदले कोई और जमीन नहीं लेंगे।
उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। बोर्ड अगर जमीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिये। इस बीच, आल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को वह जमीन देने का आदेश दिया है। जमीन लेने या न लेने के बारे में उसे ही निर्णय लेना है।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड जो भी फैसला ले उससे अमन कायम रहे। अब मजहब के नाम पर फसाद नहीं होना चाहिये। सियासी लोग फसाद कराते हैं। हालांकि अब्बास ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद के मामले पर शिया बोर्ड अब भी आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत नौ नवम्बर को अयोध्या मामले में निर्णय देते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण कराने और मुसलमानों को अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल ने इसके अनुपालन में बुधवार को अयोध्या की सोहावल तहसील के धुन्नीपुर गांव में वह जमीन देने का निर्णय लिया। हालांकि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मस्जिद के बदले कोई और जमीन लेने से पहले ही इनकार कर चुका है।
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