Year Ender 2022: इन 10 बड़ी राजनीतिक घटनाओं ने बटोरीं सुर्खियां, जानें इनके बारे में
कुछ सियासी दलों के लिए यह साल नए अवसर लेकर आया तो वहीं कुछ के लिए और कड़ी मेहनत करने का संदेश देकर जा रहा है। आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास राजनीतिक घटनाओं पर जिन्होंने इस साल सुर्खियां बटोरीं।
वर्ष 2022 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है और लोग नई उम्मीदों के साथ 2023 का इंतजार कर रहे हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान राजनीतिक क्षेत्र भी काफी उथल-पुथल से भरा रहा। इस दौरान कई विधानसभा चुनाव और उपचुनाव भी हुए जहां जनता ने अपने मतों से सत्ता को बदल दिया या फिर उसे बरकरार रखा। कुछ सियासी दलों के लिए यह साल नए अवसर लेकर आया तो वहीं कुछ के लिए और कड़ी मेहनत करने का संदेश देकर जा रहा है। आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास राजनीतिक घटनाओं पर जिन्होंने इस साल सुर्खियां बटोरीं।
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा
इस साल का सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव। इस चुनाव में पिछले 25 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का व्यक्ति पार्टी अध्यक्ष चुना गया है। इस चुनाव कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जु खड़गे और शशि थरूर के बीच सीधा मुकाबला था। मल्किार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को बड़े अंतर से हरा दिया। खड़गे को कुल 7897 वोट मिले जबकि शशि थरूर को 1072 वोट मिले। वहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने भी इस साल खूब सुर्खियां बटोरी। लंबे अर्से बाद सियासत में ऐसी कोई पदयात्रा हो रही है। यह यात्रा 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई। 150 दिनों में 3570 किमी की दूरी तय कर यह यात्रा श्रीनगर में खत्म होगी।
यूपी-उत्तराखंड और गोवा में बीजेपी की वापसी
यूपी, उत्तराखंड और गोवा के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने अपनी सत्ता को बरकरार रखा है। इन तीनों राज्यों में सबकी निगाहें यूपी के चुनाव पर थी जहां 2017 से योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सरकार चल रही थी। बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही थी जिसकी अगुवाई अखिलेश यादव कर रहे थे। लेकिन चुनाव परिणामों ने सबकों चौंका दिया। भाजपा ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया । उसे कुल 255 सीटें हासिल हुईं। समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिलीं वहीं उत्तरखंड में भी बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ और पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार बनी। उधर गोवा में भी प्रमोद सांवत की अगुवाई में एक बार फिर बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही। मणिपुर में भी बीजेपी की सरकार बनी।
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार
दिल्ली में जिस चमत्कारिक ढंग से अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, ठीक उसी तरह का परिणाम पंजाब चुनावों में देखने को मिला। यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस बुरी तरह से हार गई। आम आदमी पार्टी ने राज्य की कुल 117 सीटों में से 92 सीटों पर जीत हासिल की और भगवंत मान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।
पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही
5 जनवरी 2022 को पंजाब के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही की घटना हुई। फिरोजपुर में कुछ प्रदर्शनकारियों ने उस सड़क मार्ग को बाधित कर दिया जहां से प्रधानमंत्री के काफिले को गुजरना था। इस वजह से प्रधानमंत्री एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसे रहे। घटना के बाद प्रधानमंत्री दिल्ली लौट गए। वह ना तो किसी कार्यक्रम में शामिल हुए और ना ही दो साल के बाद राज्य में अपनी पहली रैली को ही संबोधित कर सके।
पीएफआई पर बैन
'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' यानी पीएफआई पर सरकार ने सितंबर महीने में प्रतिबंध लगा दिया और इसके 100 से ज्यादा एक्टिव मेंबर्स को गिरफ्तार लिया गया। कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार का मानना है कि पीएफआई और उसके सहयोगी ऐसे विनाशकारी कृत्यों में शामिल रहे हैं, जिससे जन व्यवस्था प्रभावित हुई है, देश के संवैधानिक ढांचे को कमजोर किया जा रहा है और आतंक-आधारित शासन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही उसे लागू करने की कोशिश की जा रही है। पीएफआई का गठन 22 नवंबर, 2006 को केरल के कोझीकोड में हुआ था।
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में चल रही महाविकास अघाड़ी सरकार उस वक्त पटरी से उतर गई जब शिवसेना के कद्दावर नेता और उद्धव के मंत्री एकनाथ शिंदे 28 विधायकों को लेकर गुजरात चले गए। उद्धव खेमे की तरफ से उन्हें मनाने की कोशिशें भी हुईं लेकिन बाद में उन्होंने गुवाहाटी में डेरा डाल दिया। नतीजा ये हुआ कि उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। वहां बीजेपी के सहयोग से एकनाथ शिंदे की अगुवाई में सरकार बनी।
बिहार में सत्ता परिवर्तन
बिहार में एकबार फिर बीजेपी नीतीश कुमार की चाल को समझने में नाकाम रही और वे बड़ी आसानी के साथ पाला बदलने में कामयाब हो गए। उन्होंने सहयोगी दल बीजेपी से किनारा कर लिया और एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिल गए। जब तक बीजेपी को नीतीश की इस चाल का अंदाजा हुआ तब तक पानी सिर से ऊपर जा चुका था। नीतीश ने सत्ता में भागीदार रही बीजेपी को विपक्ष में धकेल दिया और राष्ट्रीय जनता दल के सहयोग से सरकार बना ली। तेजस्वी डिप्टी सीएम बन गए। साथ ही लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी कैबिनेट में जगह मिल गई।
गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत, हिमाचल में कांग्रेस
साल के आखिरी महीने में संपन्न गुजरात और हिमाचल के चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। हिमाचल में सत्तारूढ़ बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। जनता ने कांग्रेस को स्पष्ट जनादेश दिया। वहीं गुजरात में जहां 2017 में बीजेपी का अब तक का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन रहा था, वहां उसकी ऐतिहासिक जीत हुई। पार्टी ने 182 में से 157 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। गुजरात में इतनी बड़ी जीत अब तक किसी सियासी दल को नहीं मिली थी।
नूपुर शर्मा विवाद
बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा इस साल काफी सुर्खियों में रहीं। दरअसल, उन्होंने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद देश भर में नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन हुए। देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई और नूपुर मुस्लिम संगठनों और कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गईं। बाद में इस विवादित बयान के चलते नूपुर को इस्तीफा देना पड़ा और बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया।
हिजाब विवाद
कर्नाटक के उडुपी के एक सरकार कॉलेज से इस विवाद की शुरुआत हुई। कॉलेज की छात्राएं ड्रेस कॉलेज का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कॉलेज में आईं। धीरे-धीरे यह ट्रेंड बढ़ने लगा और कई स्कूल-कॉलेज में इस तरह की घटनाएं सामने आईं। फरवरी महीने में राज्य सरकार ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू कर दिया। इस एक्ट के मुताबिक सभी छात्र-छात्राओं को तय ड्रेस कोड पहनकर ही आना अनिवार्य कर दिया गया। इसके खिलाफ मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।