Yashwant Sinha: 25 जुलाई 2022 को देश को अपना 15 वां राष्ट्रपति मिल गया। द्रौपदी मुर्मू ने नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की कल राष्ट्रपति भवन से विदाई हो गई और मुर्मू ने वहां प्रवेश कर लिया। राष्ट्रपति के लिए चुनाव हुए थे, जिसमें द्रौपदी मुर्मू के सामने यशवंत सिन्हा की चुनौती थी। उन्हीं को परास्त कर वे देश की 15 वीं राष्ट्रपति बनीं।
राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद सवाल उठा कि अब यशवंत सिन्हा क्या वापस एक्टिव होंगे? वे इससे पहले ममता बनर्जी की पार्टी TMC के सदस्य थे। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। अब जब द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बन चुकी हैं, तो यशवंत सिन्हा के राजनीतिक भविष्य पर फिर से चर्चा होने लगी है। इस बीच वे खुद सामने आए और अपने भविष्य के बारे में बताया।
अब रहूंगा स्वतंत्र - यशवंत सिन्हा
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि, "वह अब किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे और वे स्वतंत्र रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अभी उन्होने यह तय नहीं किया है कि वह आगे चलकर सार्वजनिक जीवन में वह क्या भूमिका निभाना चाहते हैं? हालांकि, इतना तय है कि अब वे किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अब वह TMC के संपर्क में नहीं हैं। बकौल सिन्हा, न ही उनसे किसी ने बात की है और न ही उन्होंने किसी से बात की है। सिन्हा ने कहा, मुझे देखना होगा कि मैं सार्वजनिक जीवन में क्या भूमिका निभाऊंगा और कितना सक्रिय रहूंगा। मैं अभी 84 का हूं, इसलिए ये मुद्दे हैं।
अटल सरकार में रहे थे वित्त मंत्री
आपको बता दें कि यशवंत सिन्हा पहले भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रह चुके हैं। वे अटल बिहारी वाजपेई की सरकार वित्त मंत्री रहे थे। उन्होंने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी। भाजपा में रहने के दौरान भी वे लगातार पार्टी पर हमलावर रहे थे। जब 2018 में उन्होंने बीजेपी छोड़ी तब कहा था कि वे किसी दल में नहीं जाएंगे लेकिन फिर बाद में साल 2021 में वे टीएमसी में शामिल हो गए थे। हालांकि उनके बेटे जयंत सिन्हा बीजेपी से सांसद हैं और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी रह चुके हैं। और ऐसा माना जाता है कि पिता-पुत्रों में संबंध सामान्य नहीं हैं।
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