भाजपा और शिंदे से क्यों बढ़ी मनसे की नजदीकी, जानें महाराष्ट्र में बनते नए राजनीतिक समीकरण की वजह
BJP-Shinde & MNS Politics: महाराष्ट्र में अचानक बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के गुट के साथ नजदीकी बढ़ती दिख रही है, जो मराठा मतों की अहम भूमिका वाले मुंबई निकाय चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण कारक है।
BJP-Shinde & MNS Politics: महाराष्ट्र में अचानक बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के गुट के साथ नजदीकी बढ़ती दिख रही है, जो मराठा मतों की अहम भूमिका वाले मुंबई निकाय चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकती है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के जून में गिरने के बाद से उनके चचेरे भाई एवं धुर प्रतिद्वंद्वी राज ठाकरे की शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बढ़ती नजदीकियों ने महाराष्ट्र में आगामी चुनावों के लिए नए राजनीतिक गठजोड़ की चर्चा को जन्म दिया है।
शिंदे और फडणवीस ने दिवाली की पूर्व संध्या पर शिवाजी पार्क में मनसे के दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए राज ठाकरे से मुलाकात की। तीनों के बीच बढ़ती नजदीकियां तब और स्पष्ट हुईं, जब वे मनसे प्रमुख के आवास से शिवाजी पार्क में कार्यक्रम स्थल पर एक साथ पहुंचे। राज ठाकरे ने पिछले महीने फडणवीस को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनसे शिवसेना के दिवंगत विधायक रमेश लटके की पत्नी के पक्ष में अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव से भाजपा उम्मीदवार का नाम वापस लेने का आग्रह किया गया था। भाजपा ने बाद में अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया था, जिसके लिए राज ठाकरे ने फडणवीस को धन्यवाद दिया।
क्या महाराष्ट्र में तैयार हो रहा नया राजनीतिक गठबंधन
शिवसेना के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान राज ठाकरे ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया था और अयोध्या जाने की घोषणा की थी। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा और शिंदे गुट के नेताओं ने राज ठाकरे से विभिन्न मौकों पर मुलाकातें कीं। शिंदे और फडणवीस ने भी मनसे प्रमुख से अलग-अलग मुलाकात कीं। राज ठाकरे ने अपने ‘‘मित्र’’ फडणवीस को एक पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करके अपनी पार्टी के प्रति वफादारी और प्रतिबद्धता का उदाहरण स्थापित करने के लिए उनकी सराहना की। हालांकि, हर पक्ष ने राज्य में संभावित गठजोड़ पर आधिकारिक तौर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। मनसे के एकमात्र विधायक राजू पाटिल ने कहा कि फडणवीस के बाद शिंदे ने दीपोत्सव कार्यक्रम में राज ठाकरे से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि वे दिल से और करीब आए हैं लेकिन नेतृत्व के कहे अनुसार ही काम करेंगे।
भाजपा से गठबंधन कर सकती है मनसे
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ गठबंधन करने के बाद भाजपा और मनसे के बीच एक नए राजनीतिक गठजोड़ की बातें जोर पकड़ रही हैं। इस परिदृश्य की संभावना ऐसे समय में दिखी है, जब नगर निगम चुनाव खासकर महत्वपूर्ण बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव नजदीक हैं। ‘हिंदू हृदय सम्राट- कैसे शिवसेना ने मुंबई को हमेशा के लिए बदल दिया’ की लेखिका सुजाता आनंदन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राज ठाकरे की मनसे भाजपा के साथ जाएगी क्योंकि वह पार्टी के लिए कोई खतरा नहीं है। आनंदन ने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2006 में शिवसेना से अलग होने के बाद से राज ठाकरे की राजनीति ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ काम किया है। मुंबई विश्वविद्यालय के साठये कॉलेज में सहयोगी प्रोफेसर केतन भोसले ने कहा कि राज ठाकरे का दो साल पहले हिंदुत्व की ओर झुकाव हुआ था, जो भाजपा और शिंदे गुट की समान विचारधारा है।
बाल ठाकरे का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा, इस मुद्दे पर राज ठाकरे द्वारा शिवसेना छोड़ने के बाद 2006 में मनसे की स्थापना हुई थी। उन्होंने धरती पुत्र का मुद्दा उठाया, जिस एजेंडे पर शिवसेना का गठन 1966 में हुआ था। मनसे ने 2007 में अपने पहले नगर निगम चुनावों में मुंबई में सात सीटें जीतीं, उसके बाद 2012 में 27 सीटें जीतीं। हालांकि, 2017 में उसे केवल सात सीटें मिलीं।