‘42 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा?’ जम्मू में विपक्ष पर जमकर बरसे अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि 3 परिवारों ने जम्मू-कश्मीर पर दशकों तक राज किया, लेकिन अनुच्छेद-370 के कारण कोई विकास नहीं हुआ।
जम्मू: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू में एक रैली में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। शाह ने पूछा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के कारण 42 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा? गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में आतंकवाद पर शिकंजा कसा गया। उन्होंने दावा किया कि 2019 में संविधान के अनुच्छेद-370 से जुड़े प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद एक नया जम्मू-कश्मीर आकार ले रहा है, जहां आतंकवादी गतिविधियों में 70 प्रतिशत की कमी आई है और पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग खत्म हो गई हैं।
‘42 हजार लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार?’
अमित शाह ने कहा, ‘मोदी ने 12 लाख करोड़ रुपये के घोटालों में शामिल यूपीए सरकार की जगह ली। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिए एक मजबूत नींव रखी है। 3 परिवारों ने जम्मू-कश्मीर पर दशकों तक राज किया, लेकिन अनुच्छेद-370 के कारण कोई विकास नहीं हुआ। आतंकवाद के कारण कम से कम 42 हजार लोगों की मौत हुई और वे कह रहे हैं कि हमें अनुच्छेद-370 को सुरक्षित रखना चाहिए था।’ उन्होंने कहा कि वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से पूछना चाहेंगे कि इन 42 हजार लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है, क्योंकि तब वही लोग सत्ता में थे।
शाह ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि
अमित शाह ने जोर देकर कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी के शासन में आतंकवाद पर शिकंजा कसा गया। उनके नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर ने तरक्की के रास्ते पर अपना सफर शुरू किया है।’ शाह ने जम्मू में भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए केंद्र-शासित प्रदेश के अपने दो दिवसीय दौरे की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘मुखर्जी के बलिदान, प्रेरणा और संकल्प की वजह से ही आज जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 प्रभावी नहीं है और इस केंद्र-शासित प्रदेश को पूरी तरह से देश के साथ एकीकृत कर दिया गया है। मुखर्जी को पश्चिम बंगाल को भारत से जोड़ने का भी श्रेय दिया जाता है।’
‘जम्मू कश्मीर में मुखर्जी की हत्या कर दी गई थी’
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ अभियान की शुरुआत करने के लिए (1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल से) मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जम्मू-कश्मीर पहुंच गए थे।’ गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में बिना इजाजत के प्रवेश करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के बाद मुखर्जी की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद मुखर्जी की आत्मा को शांति मिली होगी।
‘पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 फीसदी की गिरावट’
आतंकवाद के मसले पर बोलते हुए शाह ने कहा, ‘यूपीए सरकार के 10 साल के शासन में जम्मू-कश्मीर में 7,327 आतंकवादी वारदातें दर्ज की गई थीं, जबकि एनडीए सरकार के 9 साल के शासन में यह आंकड़ा 2350 रहा है।’ उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए सत्ता में था, तब जम्मू-कश्मीर में 2,056 नागरिक मारे गए थे जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में यह संख्या महज 377 है। उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के बाद अलगाववादियों द्वारा प्रायोजित बंद की संख्या घटकर 32 हो गई है, जबकि पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 फीसदी की गिरावट आई है।