लोकसभा चुनाव 2024 | राहुल गांधी Vs के. सुरेंद्रन Vs एनी राजा: वायनाड में कड़ी लड़ाई
केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर इस पार जबर्दस्त त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है और इस सीट पर प्रत्याशियों की हार या जीत उनके सियासी करियर पर गहरा असर डाल सकती है।
2024 के लोकसभा चुनावों में जिन सीटों पर लोगों की सबसे ज्यादा नजर है उनमें वायनाड भी शामिल है। केरल की यह सीट 2019 में तब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई थी जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेठी के अलावा यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। राहुल का यह फैसला सही भी साबित हुआ था क्योंकि वह अमेठी से चुनाव हार गए थे और वायनाड के सहारे लोकसभा में दाखिल हुए थे। केरल की इस सीट पर सूबे की बाकी सीटों की तरह 26 अप्रैल को चुनाव होंगे और मतगणना 4 जून को होगी।
क्या रहा है वायनाड की सीट का इतिहास
केरल की वायनाड लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी और तबसे इस सीट पर कांग्रेस का ही आधिपत्य रहा है। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से कांग्रेस के नेता एम. आई. शानवास ने जीत दर्ज की थी जबकि 2019 में इस सीट ने राहुल गांधी को लोकसभा में पहुंचाया था। 2009 से इस सीट पर मुख्य लड़ाई कांग्रेस और सीपीआई में ही होती रही है लेकिन इस बार बीजेपी ने भी के. सुरेंद्रन के रूप में एक कद्दावर नेता को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। यही वजह है कि आज पूरे देश की नजरें वायनाड लोकसभा सीट पर है।
बड़े अंतर से चुनाव जीतना चाहेंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी पिछले लोकसभा चुनावों में अमेठी में भले ही रोचक मुकाबले में हार गए हों, वायनाड में उन्होंने बहुत बड़ी जीत दर्ज की थी। 2019 में इस सीट पर डाले गए कुल 10,87,783 वोटों में से 7,06,367 वोट हासिल किए थे जबकि उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंदी पी. पी. सुनीर को 2,74,597 वोट मिले थे। इस तरह राहुल ने उन चुनावों में अपने करीबी प्रतिद्वंदी को 4.3 लाख से भी ज्यादा वोटों के भारी अंतर से पराजित किया था। हालांकि इस बार राहुल गांधी के सामने चुनौती के रूप में बीजेपी का एक कद्दावर प्रत्याशी भी है लेकिन फिर भी वह एक बड़े अंतर से चुनाव जीतना चाहेंगे।
अपनी पहली जीत के इंतजार में हैं के. सुरेंद्रन
वायनाड से राहुल गांधी के सामने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन मैदान में हैं। उन्हें 15 फरवरी 2020 के प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था और तभी से वह लगातार पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं। सुरेंद्र अब तक तीन लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और तीनों में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, विधानसभा चुनावों में उन्होंने 5 बार किस्मत आजमाई है और हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2 विधानसभा चुनाव तो उन्होंने मात्र 89 और 745 वोटों के अंतर से हारे। सुरेंद्रन इस बार हार के अपने इतिहास को जीत में बदलने की पूरी कोशिश करेंगे।
CPI को एनी राजा से है चमत्कार की उम्मीद
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी कि CPI ने वायनाड सीट पर अपनी कद्दावर नेता एनी राजा को मैदान में उतारा है। वह CPI राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी हैं। CPI के मौजूदा महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद डी. राजा उनके पति हैं। CPI को उम्मीद है कि एनी राजा त्रिकोणीय मुकाबले में अपना असर छोड़ सकती हैं और पार्टी की झोली में यह सीट डाल सकती हैं। एक तरह से देखा जाए तो राहुल गांधी, के. सुरेंद्रन और एनी रजा की दावेदारी ने वायनाड के चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया है। इस सीट पर ऊंट किस पाले में बैठेगा, इस बात की साफ-साफ भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता।
क्यों अहम है वायनाड की लोकसभा सीट
2024 के लोकसभा चुनावों में वायनाड की लोकसभा सीट कई मायनों में खास बनकर उभरी है। यह सीट काफी हद तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सियासी भविष्य को तय कर सकती है। वहीं, अगर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष यहां से चुनाव जीत जाते हैं तो यह पार्टी के लिए बहुत बड़ी बात होगी। वहीं, एनी राजा भी पहली बार इस सीट को सीपीआई की झोली में डालना चाहेंगी। यानी कि 4 जून को इस सीट पर जो भी उम्मीदवार परचम लहराएगा, वह किसी न किसी रूप में इतिहास बनाएगा।