‘बाईपास सर्जरी के लिए सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल न करें', उपराष्ट्रपति धनखड़ ऐसा क्यों बोले?
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी दलों को सलाह दी है कि बाईपास सर्जरी के लिए सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल न करें। आइए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा।
भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने विपक्षी दलों के नसीहत दी है कि किसी को बाईपास सर्जरी के लिए सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने महिला पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए ये भी कहा कि विपक्षी दलों की ओर से उन्हें हटाने के लिए लाया गया नोटिस असल में एक जंग लगा हुआ चाकू था।
नोटिस देखकर आप चौंक जाएंगे- उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कार्यक्रम में कहा- "उपराष्ट्रपति के खिलाफ विपक्ष के नोटिस को देखिए। उनके द्वारा दिए गए 6 लिंक को देखिए और आप चौंक जाएंगे। उपराष्ट्रपति ने देश के पूर्व पीएम चंद्रशेखर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि बाईपास सर्जरी के लिए कभी भी सब्जी काटने वाले चाकू का इस्तेमाल न करें। यह नोटिस सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था। यह जंग लगा हुआ था। इसमें जल्दबाजी दिखाई गई।" इस नोटिस को ज्यसभा के उपसभापति हरिवंश द्वारा खारिज कर दिया गया था।
नोटिस पढ़कर मैं हैरान रह गया- उपराष्ट्रपति
महिला पत्रकारों से बात करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नोटिस पर कहा कि जब उन्होंने इसे पढ़ा तो वह हैरान रह गए। उन्होंमे कहा- "मुझे इससे भी अधिक हैरानी इस बात पर हुई कि आपमें से किसी ने भी इसे नहीं पढ़ा। अगर आपने पढ़ा होता तो आप कई दिनों तक सो नहीं पाते।’’ उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि किसी भी संवैधानिक पद का मूल्यांकन प्रतिष्ठा, उत्कृष्ट गुणों और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता से करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि हम हिसाब बराबर करने की स्थिति में नहीं हैं। लोकतंत्र की सफलता के लिए दो चीजें जरूरी होती हैं और वो हैं अभिव्यक्ति और संवाद।
दोनों सदन गलत कारणों से खबरों में- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों के खिलाफ भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि जो देश के हितों को चोट पहुंचाने की मंशा रखने वालों की ओर से इन्हें सुनियोजित तरीके से बढ़ावा दिया जाता है। उनका उद्देश्य हमारी संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट करना है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे ये भी कहा कि ऐसे लोगों का मकसद राष्ट्रपति पद को बदनाम करना है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पहली बार आदिवासी महिला इस देश की राष्ट्रपति बनी हैं। संसदीय बहसों को लेकर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे ये भी कहा कि संसद के दोनों सदन गलत कारणों से खबरों में हैं। (इनपुट: भाषा)