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उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए प्रियंका गांधी ने की प्रार्थना, सरकार से मुआवजे की मांग

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशें जारी हैं। जानकारी के मुताबिक, अब केवल कुछ ही मीटर की ड्रिलिंग बची है जिसके बाद मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा।

उत्तराखंड सुरंग हादसा।- India TV Hindi Image Source : PTI उत्तराखंड सुरंग हादसा।

दिवाली के दिन उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग ढ़हने से 41 मजदूर भीतर ही फंस गए थे। इस मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए सरकार लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। कहा जा रहा है कि मजदूरों को अब से कुछ ही घंटों में बाहर निकाल लिया जाएगा। वहीं, अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मजदूरों के लिए प्रार्थना की और सरकार से बड़ी मांग की है। 

मजदूरों को मिले मुआवजा

प्रियंका गांधी ने लिखा है कि "उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 12 दिन से 41 मजदूर भाई सुरंग में फंसे हैं। खबर है कि उन्हें बचाने के लिए चल रहा ऑपरेशन सफलता की ओर बढ़ रहा है और जल्द ही सबके सकुशल बाहर आने की उम्मीद जगी है। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी मजदूर भाई जल्द से जल्द बाहर आकर स्वस्थ-सानंद अपने-अपने घर पहुंचें। पूरे देश की प्रार्थनाएं उनके साथ हैं। सरकार से आग्रह है कि प्राणों की बाज़ी लगाकर दिन-रात राष्ट्र की सेवा में लगे इन मजदूर भाइयों को उचित मुआवजा और मदद दी जाये।"

कहां तक पहुंचा रेस्क्यू ऑपरेशन?

टनल के अंदर इलेक्ट्रिसिटी की काम देख रहे गिरीश सिंह रावत के मुताबिक ड्रिलिंग के रास्ते में आ रहे सरिए काट दिए गए हैं और अब बाकी बचे हिस्से में पाइप को अंदर डाला जा रहा है। अब मजदूरों को बचाने का ऑपरेशन अपने अंतिम दौर में चल रहा है। बचावकर्मी काफी करीब तक पहुंच गए हैं और कुछ ही मीटर की खुदाई रह गई है। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी मौके पर पहुंचे हैं और राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा ले रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि अब से कुछ ही घंटे के बाद मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। 

रेस्क्यू के बाद क्या होगा?

मजदूरों के बाहर आते ही उनके लिए तमाम सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। टनल के पास 41 एंबुलेंस और सिल्क्यारा हॉस्पिटल में 41 बेड तैयार कर दिए गए हैं। AIIMS ऋषिकेश को अलर्ट मोड पर रखा गया है और जरूरत पड़ने पर एयरलिफ्ट की भी तैयारी है। मजदूरों के परिजन भी सुरंग के बाहर ही बैठे हुए हैं और अपने परिवार वालों के बाहर आने का इंतजार कर रहे हैं। 

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