नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े सूबे की सबसे बड़ी जंग विधानसभा चुनाव में हर राजनीतिक दल महिलाओं पर दांव खेल रहा है। चुनाव इस वक्त 'आधी आबादी' बनाम 'आधी आबादी' हो गया है। यानी अब पुरुषों के साथ-साथ महिला वोटरों को लेकर भी राजनीतिक दल काफी गंभीर हो गए हैं । शायद अब राजनीतिक दल ये जान गए हैं कि सत्ता की कुर्सी में महिला वोटर एक निर्णायक भूमिका में आ गई हैं। ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि महिलाओं ने खुद को एक बड़े गेम चेंजर के तौर पर सामने रखा है। ऐसे में हर राजनीतिक दल चुनावी मैदान में इनका साथ पाने की जुगत में लगा हुआ है ।
प्रियंका का 'गेम प्लान'-
आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे पहले कांग्रेस की महासचिव और यूपी चुनाव प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने महिला कार्ड खेला । प्रदेश की महिलाओं को साधने के लिए प्रियंका ने बड़ा दांव खेलते हुए ऐलान किया कि विधानसभा चुनाव में 40 फिसदी टिकट महिलाओं को दिया जाएगा । कांग्रेस ने महिलाओं के लिए एक अलग घोषणापत्र भी जारी किया है। वहीं, 'महिला शक्ति संवाद' और 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' जैसे नारों के जरिए कांग्रेस की खोई जमीन पाने की कोशिश में प्रियंका गांधी जुटी हुई हैं।
बीजेपी की साइलेंट वोटरों पर नजर-
पिछले तीन विधनसभा चुनाव पर नजर डाले तो हर बार सत्ता परिवर्तन हुआ है । बीजेपी इस क्रम को तोड़ने में जुटी हुई है। यही वजह है कि आधी आबाधी पर नजर उनकी भी बनी हुई है । मंगलवार को प्रायगराज मे हो रहे चुनावी महाकुंभ में पीएम नरेंद्र मोदी ने महिलाओं से संवाद किया और 1,000 करोड़ रुपयों की आर्थिक राशि ट्रांसफर की। पीएम मोदी के मुताबिक ये राशि महिलाओं को सश्क्त बनाने के उद्देश्य दी जा रही है । बीजेपी सरकार का दावा है कि पिछले 5 सालों में महिला सुरक्षा,महिला सशक्तिकरण और बेहतर कानून व्यवस्था बनाने में उन्होने एक बड़ी भूमिका निभाई है । हाल ही में बीजेपी द्वारा शुरु हुए नए अभियान 'कमल शक्ति संवाद' के जरिए ज्यादा-से-ज्यादा महिलाओं को अपने पाले में लाने की कोशिश भी की जा रही है।
चुनावों नतीजो ने बताया क्यों अहम है 'महिला शक्ति'-
पिछले दो विधानसभा चुनाव 2012 और 2017 में महिला वोटरों ने राजनीतिक दलों को सत्ता हासिल करवाने में अहम भूमिका निभाई है । दोनो ही विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों ने लोकतंत्र के महापर्व में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था । यही वजह है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा । 2012 में अखिलेश को महिलाओं का साथ मिला ता जिसकी बदौलत वो पहली बार बिना किसी के सहयोग के सत्ता में पहुंचने में कामयाब रहे । वहीं 2017 में महिलों ने पीएम मोदी पर भरोसा जताया तो बीजेपी समाजवादी पार्टी को बाहर कर बंपर जीत हासिल करने में कामयाब रही । चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक यूपी में 6.66 करोड़ महिला मतदाता मौजूद हैं । यही वजह है कि चुनावी वैतरणी को पार लगाने में हर कोई महिला वोटरों को साधने की कोशिश मे लगा हुआ है । महिला वोटरों की ताकत को राजनीतिक दल समझ चुके हैं औऱ 2022 के विधानसभा चुनावी नतीजे इस आकंलन को सही साबित भी कर देंगे
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