महाराष्ट्र की राजनीतिक उठापटक पर बोले उद्धव ठाकरे, 'अब देखते हैं कि बीजेपी अपनी नई टोली को कैसे संभालती है'
इस साल दो जुलाई को राकांपा में अजित पवार के नेतृत्व में बगावत हुई और वह उपमुख्यमंत्री के रूप में शिंदे सरकार में शामिल हो गए। राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली।
नागपुर: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में पड़ी फूट के बाद अब उद्धव ठाकरे भी एक्टिव हो गए हैं। वह अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश के दौरे पर निकले हैं। इसी क्रम में उद्धव ने रविवार को महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे का आगाज किया। यहां नागपुर में उन्होंने बीजेपी और एकनाथ शिंदे पर हमला बोलते हुए कहा कि वह यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी अपनी नयी टोली को कैसे संभालती है।
'राज्य विधानसभा अध्यक्ष को एक तय रूपरेखा के भीतर इस पर फैसला लेना होगा'
वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं के मुद्दे पर उद्धव ने कहा कि राज्य विधानसभा अध्यक्ष को एक तय रूपरेखा के भीतर इस पर फैसला लेना होगा। उन्होंने कहा, "अगर विधानसभा अध्यक्ष इसे दरकिनार कर भी दें, तो उच्चतम न्यायालय के दरवाजे हमारे लिए हमेशा खुले हैं।" बता दें कि जून 2022 में शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत के कारण उद्धव के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी और शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी। बाद में शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए थे।
सत्तारूढ़ भाजपा के बारे में उद्धव ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि भाजपा इस बारे में कुछ कहने के लायक है। उसके पास हमें भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है। मैं सिर्फ यह देखने का इंतजार कर रहा हूं कि भाजपा अपनी नयी टोली को कैसे संभालती है।’’ महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शनिवार को कहा था कि शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के 40 विधायकों और उद्धव गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता की याचिकाओं पर जवाब मांगा गया है।
'सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को पहले ही एक रूपरेखा दी है'
वहीं शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर उद्धव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को पहले ही एक रूपरेखा दी है। उन्होंने कहा, ‘‘अध्यक्ष को तय रूपरेखा के भीतर ही अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला लेना होगा। अगर वह इसे नजरअंदाज करते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमारे लिए हमेशा खुले हैं।’’ शिवसेना (यूबीटी) ने हाल में उच्चतम न्यायालय का रुख करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह अयोग्यता की याचिकाओं पर तेजी से सुनवाई करें।
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