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भारत में राष्ट्रपति के मुकाबले प्रधानमंत्री का पद क्यों है ताकतवार? जानें क्या-क्या मिलते हैं अधिकार

दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में राष्ट्रपति सिर्फ नाममात्र का शासक होता है। सभी प्रमुख कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री के पास होती हैं यानी राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।

pm modi- India TV Hindi Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

9 जून को नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। शपथ लेने के साथ ही मोदी सरकार एक्शन मोड में आ गई हैं। भारत में प्रधानमंत्री का चयन सत्ता पक्ष के सांसदों द्वारा किया जाता है। जिस पार्टी या गठबंधन का बहुमत लोकसभा में होता है, उसका नेता देश का प्रधानमंत्री होता है। प्रधानमंत्री मंत्री परिषद का नेता होता है। दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में राष्ट्रपति सिर्फ नाममात्र का शासक होता है। सभी प्रमुख कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री के पास होती हैं यानी राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।  

राष्ट्रपति को देते हैं सलाह

प्रधानमंत्री शपथ लेने के साथ मंत्री नियुक्त करने हेतु अपने दल के सदस्यों के नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति करता है। मंत्रियों के विभागों का आवंटन और उनमें फेरबदल प्रधानमंत्री करता है। पीएम किसी मंत्री को त्यागपत्र देने या उसे बर्खास्त करने की सलाह राष्ट्रपति को दे सकता है।

देश का सबसे ताकतवर व्यक्ति प्रधानमंत्री होगा- संविधान सभा

दिसंबर 1948 के आखिरी दिनों में संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद को लेकर वाद-विवाद चल रहा था। सदन के सदस्यों के बीच बहस हो रही थी कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री में कौन अधिक ताकतवर होना चाहिए और किसे कितनी शक्तियां देनी चाहिए। 27 दिसंबर 1948 को संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीम राव अंबेडकर कहते हैं, ‘हमने बार-बार कहा है, हमारा राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रतीक होगा। उसके पास स्वविवेक से कोई अधिकार नहीं होंगे। प्रशासन की कोई शक्तियां नहीं होंगी। देश के प्रशासन का पूर्ण नियंत्रण प्रधानमंत्री के पास होगा। देश का सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति प्रधानमंत्री ही होगा।’

लंबे वाद-विवाद के बाद सभा के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि संसदीय लोकतंत्र व्यवस्था में प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल का प्रमुख बनाया जाए। राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हो। उन्हें संदेह था कि अगर राष्ट्रपति को अधिक शक्तिशाली बना दिया जाए तो वह निरंकुश सम्राट बन सकता है।

आइए अब जानते हैं भारत में कितना ताकतवर होता है प्रधानमंत्री का पद-

  1. हर काम प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है राष्ट्रपति- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारत के महान्यायवादी, भारत के महाधिवक्ता, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं उसके सदस्य, चुनाव आयुक्तों, वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति करते है।
  2. प्रधानमंत्री की सलाह की कोर्ट में जांच नहीं हो सकती- भारतीय संविधान में सरकार की संसदीय व्यवस्था ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है। यानी इसमें राष्ट्रपति नाममात्र का प्रमुख होता है और असल में सभी पावर्स प्रधानमंत्री के पास होते हैं। राष्ट्रपति राज्य का जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। संसदीय शासन प्रणाली में सरकार संसद का हिस्सा होती है। सरकार तभी तक रहती है जब तक उसे लोकसभा में बहुमत होता है। सरकार का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री के पास तमाम अधिकार होते हैं। भारतीय संविधान के आर्टिकल 74 के मुताबिक, राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करेगा। देश का राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से सलाह-मशवरा करने के बाद ही काम करेगा। प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह की जांच किसी कोर्ट में नहीं की जा सकती है।
  3. सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने की ताकत- सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कानून बनाकर पलटा जा सकता है। इसके लिए प्रधानमंत्री की अगुआई में कैबिनेट एक प्रस्ताव बनाएगा और पारित करेगा। इसे लोकसभा में रखा जाएगा। चूंकि यहां सरकार का बहुमत होता है तो ये विधेयक पारित हो जाएगा। राज्यसभा में भी पारित होने के बाद कानून बन जाता है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेअसर हो सकता है।
  4. संसद के संबंध में प्रधानमंत्री के अधिकार- प्रधानमंत्री निचले सदन का नेता होता है और संसद के संबंध में भी उसके पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को संसद का सत्र बुलाने और उसका सत्रवसान करने का परामर्श देता है। पीएम लोक सभा को किसी भी समय भंग करने की सलाह राष्ट्रपति को दे सकता है। वह सभा पटल पर सरकार की नीतियों की घोषणा करता है।
  5. विदेश नीति को अमलीजामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका- प्रधानमंत्री राष्ट्र की विदेश नीति को अमलीजामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पीएम केंद्र सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है। सत्ताधारी दल का नेता होने के साथ योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर्राज्यी य परिषद और राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद का अध्यक्ष होता है। आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर आपदा प्रबंधन का मुखिया होता है। साथ ही तीनों सेनाओं का राजनीतिक प्रमुख भी वही होता है।
  6. कई विभागों का प्रमुख और ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार- प्रधानमंत्री देश की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वो कई मिनिस्ट्री, डिपार्टमेंट और प्रोग्राम का हेड या प्रभारी होता है। उसके पास एडमिनिस्ट्रेटिव और अपॉइंटमेंट पावर्स भी होती हैं। साथ ही पीएम सेनाओं के प्रमुख से लेकर इलेक्शन कमीशन जैसे बड़े पदों की पोस्टिंग के लिए राष्ट्रपति को सलाह भी देता है।
  7. भारत की संचित निधि खर्च करने का अधिकार- देश को टैक्स, राजस्व, कर्ज समेत अलग-अलग कई तरीकों से आमदनी होती है। ये सारी कमाई एक साझा कोष में जमा हो जाती है। इसे देश की 'संचित निधि' या 'कंसोलिडेटेड फंड्स' कहते हैं। इसका जिक्र संविधान के आर्टिकल 266 (1) में है। देश की संचित निधि की मालिक संसद है। इसमें एक भी पैसा निकालने के लिए लोकसभा की मंजूरी जरूरी होती है। प्रधानमंत्री लोकसभा का प्रमुख होता है। लोकसभा में उसका बहुमत होता है। इसलिए कहा जाता है कि भारत की संचित निधि प्रधानमंत्री के हाथों में है।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के संबंध

प्रधानमंत्री सरकार और देश-विदेश में चल रही गतिविधियों की जानकारी राष्ट्रपति को देता है। पीएम मंत्रीपरिषद् के सभी कार्यों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है। देश में आपातकाल या इस तरह के किसी अन्य मामले की पूरी जानकारी राष्ट्रपति को देता है। संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह के मुताबिक कार्य करेगा हालांकि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से उसकी सलाह पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है और राष्ट्रपति इस पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य होगा।

प्रधानमंत्री को उसके पद से हटाया जा सकता है?

प्रधानमंत्री को भी हटाने का प्रावधान संविधान में हैं। लोकसभा नियमावली के नियम 198 के अनुसार, कोई भी सांसद लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। सरकार का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हैं। इसके बाद वोटिंग होती है। अगर प्रस्ताव के पक्ष में ज्यादा वोट पड़ते हैं तो सरकार गिर जाती है और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है।

ब्रिटेन में भी सरकार का प्रमुख होता है प्रधानमंत्री

वर्तमान में जिन देशों में संसदीय व्यवस्था के तरह प्रधानमंत्री का चुनाव होता है, वहां के पीएम की शक्तियां लगभग भारत के पीएम के समान ही होती हैं। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, फ्रांस, पाकिस्तान, इटली जैसे कई देश शामिल हैं। ब्रिटेन में भी प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। उसे राजा चुनता है। ब्रिटेन का पीएम किसी भी समय मंत्रियों को नियुक्त या बर्खास्त कर सकता है।

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