सर्विसेज केस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला और केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने के बीच का पूरा मामला, जानें इस दौरान क्या हुआ
दरअसल बोर्ड की बैठक बुलाई गई, उसके बाद सरकार के इस फैसले को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेज दिया गया। दूसरे दिन भी जब एलजी ने मंजूरी नहीं दी तो दिल्ली सरकार के 5 मंत्री एलजी हाउस पर धरने पर जाकर बैठ गए।
नई दिल्ली: सर्विसेज विभाग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद ही दिल्ली के LG और केजरीवाल सरकार के बीच खींचतान शुरू हो गई थी। फैसला आने के तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने सर्विसेस विभाग के सचिव आशीष माधोराव मोरो को पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया था और एके सिंह को सर्विसेज का सचिव नियुक्त कर दिया था। लेकिन इस आदेश को तुरतं लागू नहीं किया गया। तर्क ये दिया गया कि 2013 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी भी IAS अधिकारी को समय से पहले पद से हटाने के लिए CSB (सिविल सर्विस बोर्ड) में फैसला होना चाहिए, जहां ये बताया जाएगा कि अधिकारी को क्यों हटाया जा रहा है, और वो अधिकारी भी बोर्ड के सामने अपना पक्ष रखेगा।
दरअसल बोर्ड की बैठक बुलाई गई, उसके बाद सरकार के इस फैसले को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेज दिया गया। दूसरे दिन भी जब एलजी ने मंजूरी नहीं दी तो दिल्ली सरकार के 5 मंत्री एलजी हाउस पर धरने पर जाकर बैठ गए। डेढ़ घंटे बाद एलजी ने मंत्रियों को मिलने के लिए बुलाया। इसी बीच केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर दिया। जिसके मुताबिक सर्विसेज एलजी यानी दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटर के पास ही रहेगा।
इसका मतलब है कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कोई मतलब नहीं रह गया है। यानी अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार इस अध्यादेश के बाद एकबार फिर से एलजी के पास चला गया। जिसके बाद देर रात एलजी ने दिल्ली सरकार की मांग को मानते हुए आशीष मोरे की जगह एके सिंह को सर्विसेज के सचिव के तौर नियुक्ति को मंजूरी दे दी।
CM हाउस के निर्माण में हुई अनियमितता की फाइल से जुड़ी बड़ी बात
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने ना सिर्फ IAS आशीष मोरे को पद से हटाया। इसी तरह विजिलेंस के सचिव राजशेखर को भी पद से हटाने का आदेश दे दिया था। IAS राजशेखर ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि देर रात उनको ऑफिस खुलवाकर तमाम भ्रष्टाचार के मामलों की फाइल को फोटोकॉपी कराकर दिल्ली सरकार अपने पास ले गई। जिसमे CM हाउस के निर्माण में हुई अनियमितता की फाइल भी शामिल थी।
राजशेखर के बाद दिल्ली सरकार ने दिल्ली मुख्य सचिव नरेश कुमार को भी पद से हटाने का फैसला कर लिया था और नरेश कुमार की जगह पीके गुप्ता को दिल्ली का मुख्य सचिव बनाना चाह रही थी। इसकी फाइल भी मंजूरी के लिए एलजी के पास भेज दी गई थी। अधिकरियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार मिलने बाद दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज के ऊपर अधिकारियों को धमकाने का आरोप भी लगा। आशीष मोरे ने मुख्य सचिव से शिकायत की। मोरे ने कहा कि सौरभ भारद्वाज ने उनकी नौकरी खाने और देख लेने की धमकी दी है।
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