जब तय है हार तो अविश्वास प्रस्ताव लाने पर क्यों अड़ा विपक्ष? समझिए क्या है असल रणनीति
आज संसद में विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। लोकसभा में विपक्षी दलों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो साफ है कि इस प्रस्ताव में उनकी हार तय है लेकिन फिर भी विपक्ष जिद पर अड़ा है। हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे असल रणनीति क्या है।
आज संसद में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ये नई रणनीति है क्योंकि विपक्ष हर हालात में ये चाहता है कि मोदी संसद में बोलें और इसी के लिए विपक्ष हर पैंतरा आजमा रहा है। विपक्ष की हार तय है फिर भी जिद पर अड़ा है। आखिर क्यों विपक्ष चाहता है कि किसी भी सूरत में मोदी को संसद में बोलने पर मजबूर किया जाए। अगर हार तय है तो फिर भी विपक्ष क्यों ला रहा है अविश्वास प्रस्ताव? ये हम आपको समझाते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव बहाना, मोदी को संसद में है बुलाना
ये बात हर किसी के मन है कि जब विपक्ष के पास ये प्रस्ताव पास कराने लायक आंकड़ा ही नहीं है तो विपक्ष क्यों नो-कॉन्फिडेंस मोशन पर अड़ा हुआ है। दरअसल ये प्रस्ताव विपक्ष की नई रणनीति का हिस्सा है। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव के बहाने पीएम मोदी को घेरना चाहता है। विपक्ष चाहता था कि मणिपुर में जारी हिंसा पर पीएम मोदी संसद में बयान दें। लेकिन सरकार का कहना है कि ये जवाब गृह मंत्री अमित शाह देंगे। इसके बाद विपक्ष अब ये प्रस्ताव लेकर आया है जिससे कि पीएम मोदी को संसद में बोलने के लिए मजबूर किया जा सके।
अविश्वास प्रस्ताव के पीछे विपक्ष की असल रणनीति-
- मणिपुर हिंसा पर लोकसभा में विस्तृत चर्चा चाहता है विपक्ष
- विपक्ष चाहता है कि मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री संसद में जवाब दें
- चर्चा के दौरान विपक्ष को बोलने का भरपूर मौका भी मिलेगा
- मोदी सरकार पर प्रेशर बनाने का सबसे कारगर तरीका
- I-N-D-I-A गठबंधन के बाद ये विपक्षी एकजुटता का लिटमस टेस्ट
अविश्वास प्रस्ताव लाने को लोकसभा में मंजूरी
हालांकि अविश्वास प्रस्ताव लाने को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। स्पीकर ने कहा कि चर्चा का वक्त तय किया जाएगा। विस्तृत चर्चा के बाद तारीख का ऐलान होगा। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि नियम के मुताबिक चर्चा का वक्त तय होगा। बता दें कि नियमों के मुताबिक लोकसभा स्पीकर इसपर तुरंत फैसला देने के लिए मजबूर नहीं होते हैं। नियम ये है कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिलने के दस दिन के अंदर इसपर चर्चा और वोटिंग जरूरी है। साथ ही लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत है।
नंबर गेम में किसके पास कितने सांसदों का समर्थन-
मौजूदा लोकसभा में बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत हासिल है। बीजेपी के पास 301 सांसद हैं। अगर इसमें एनडीए के उसके सहयोगी दलों को जोड़ दें तो ये आंकड़ा 333 तक पहुंच जा रहा है। वहीं 'इंडिया' के पास केवल 142 सांसद हैं।
कुल सीटें: 543 | खाली: 06 | मौजूदा सांसद: 537
मोदी सरकार: 331 (लोकसभा स्पीकर को मिलाकर)
बीजेपी: 301
शिवसेना (शिंदे): 13
आरएलजेपी: 05
अपना दल सोनेलाल: 02
एलजेपी (राम विलास): 01
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार): 01
एजेएसयू: 01
एनडीपीपी: 01
एनपीएफ: 01
एनपीपी: 01
एसकेएम: 01
एमएनएफ: 01
निर्दलीय (सुमलता एवं नवनीत कौर राणा): 02
अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार के साथ:
वाईएसआरसीपी: 22
विपक्ष का I.N.D.I.A. गठबंधन: 142
कांग्रेस: 50
डीएमके: 24
तृणमूल कांग्रेस: 23
जेडीयू: 16
शिवसेना (यूबीटी): 06
एनसीपी (शरद पवार): 04
समाजवादी पार्टी: 03
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग: 03
जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस: 03
सीपीआई (एम): 03
सीपीआई: 02
आम आदमी पार्टी: 01
जेएमएम: 01
आरएसपी: 01
वीसीके: 01
केरल कांग्रेस (मनि): 01
अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस के साथ:
भारत राष्ट्र समिति: 09
अनिश्चित: 33
बीजू जनता दल: 12
बहुजन समाज पार्टी: 09
टीडीपी: 03
एआईएमआईएम: 02
शिरोमणि अकाली दल: 02
जनता दल (सेक्युलर): 01
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी: 01
एआईयूडीएफ: 01
शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर): 01
निर्दलीय (हीरा सरानिया): 01
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