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Hindi News भारत राजनीति प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार हुई थी नेहरू की हत्या की कोशिश, जानें कैसे बची थी जान

प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार हुई थी नेहरू की हत्या की कोशिश, जानें कैसे बची थी जान

जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और उन्होंने 15 अगस्त 1947 से लेकर 27 मई 1964 तक देश की बागडोर संभाली थी। इससे पहले वह देश की अंतरिम सरकार के भी मुखिया रह चुके थे।

Jawaharlal Nehru, Jawaharlal Nehru assassination attempts- India TV Hindi Image Source : FILE बाघ के बच्चे के साथ खेलते भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू।

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। नेहरू 15 अगस्त 1947 से लेकर 27 मई 1964 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। इससे पहले वह 2 सितंबर 1946 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक देश की अंतरिम सरकार के भी मुखिया थे। आजादी के आंदोलन के दौरान नेहरू कई बार जेल गए, लेकिन क्या आपको पता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार उनकी हत्या की कोशिश की गई थी? आइए, विस्तार से जानते हैं कि कब-कब नेहरू की हत्या की साजिश रची गई थी।

1947 में पहली, तो 1948 में हुई थी दूसरी कोशिश

जवाहरलाल नेहरू की हत्या की पहली कोशिश 1947 में हुई थी। उस समय देश का बंटवारा नहीं हुआ था और वह अंतरिम सरकार के मुखिया थे। नेहरू की हत्या की यह कोशिश नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में कार से यात्रा करने के दौरान हुई थी। यह इलाका आज के पाकिस्तान में पड़ता है। नेहरू की हत्या की दूसरी कोशिश की खबर जुलाई 1948 में आई थी। पुलिस ने तब नेहरू की हत्या के इरादे से दिल्ली जा रहे 3 लोगों को बिहार के लखीसराय की एक धर्मशाला से पकड़ा था। इनके पास से 2 पिस्टल, 2 रिवॉल्वर, रायफल और देसी बम बरामद हुए थे। इनकी साजिश का खुलासा इन्हीं के चौथे साथी ने पुलिस के सामने कर दिया था।

Image Source : Fileजवाहरलाल नेहरू की जान लेने की कोशिश कई बार की गई थी।

1953 में रची गई थी ट्रेन उड़ाने की साजिश?

1953 में भी कथित तौर पर नेहरू की जान लेने की कोशिश की गई थी लेकिन साजिशकर्ता सफल नहीं हो पाए थे। उस समय की खबरों के मुताबिक, कुछ लोगों ने तब बॉम्बे-अमृतसर एक्सप्रेस को उड़ाने की साजिश रची थी जिसमें नेहरू यात्रा कर रहे थे। हालांकि यह साजिश तब नाकाम हो गई जब पुलिस ने कल्याण में रेल की पटरियों के पास बैठे 2 लोगों को पकड़ लिया। बाद में बताया गया कि जिस चीज को बम समझा जा रहा था वह दरअसल कुछ ‘पटाखे’ थे और हमलावरों का इरादा पटाखों के विस्फोट से सनसनी पैदा करने का था। इसके अलावा 1961 में भी ट्रैक उड़ाने की साजिश रची गई थी।

1955 में चाकू तो 1956 में पत्थरों से हुआ था हमला

1955 में एक रिक्शेवाले ने नेहरू की जान लेने के इरादे से उनपर चाकू से हमला किया था। उस समय अखबारों में आई खबरों के मुताबिक, 32 साल के रिक्शेवाले के पास से 6 इंच का चाकू बरामद किया गया था। हमलावर नेहरू की गाड़ी पर कूद गया था लेकिन नेहरू ने वक्त रहते उसे पीछे धकेल दिया था। वहीं, 1956 में पुलिस ने बताया था कि मुंबई में नेहरू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया गया। पुलिस का कहना था कि भीड़ में शामिल सैकडों लोगों ने मंच से भाषण दे रहे नेहरू पर पत्थरों से हमला करने की योजना थी। पुलिस ने इस मामले में सैकड़ों लोगों को पकड़ा भी था।

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