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शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर कटाक्ष, लिखा- 'पेट्रोल से महंगा है टमाटर'

देश में सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं। खासकर टमाटर की महंगाई लोगों को रास नहीं आ रही है। इस मामले पर शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में एक लेख प्रकाशित किया गया है।

Shiv Sena ubt mouthpiece Saamana remark on central government over inflation said Tomatoes are costl- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर कटाक्ष

देश में सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं। खासकर टमाटर की महंगाई लोगों को रास नहीं आ रही है। इस मामले पर शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में एक लेख प्रकाशित किया गया है। इस लेख के जरिए संजय राउत ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। संपादकीय में लिखा कि "महंगाई को लेकर यूपीए सरकार के नाम का ढिंढोरा पीटते हुए मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई थी। बीते नौ वर्षों से केंद्र में लगातार उन्हीं की सत्ता है, पर महंगाई और दर वृद्धि की स्थिति क्या है? दर वृद्धि और महंगाई बिल में छिपकर बैठ गई है क्या? हकीकत यही है कि मोदी राज में न दर वृद्धि थमी है, न ही महंगाई छिपकर बैठी है। जीवनावश्यक वस्तुओं से लेकर सोने, चांदी और जरूरत की सभी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। रोजमर्रा के जीवन में आवश्यक साग-सब्जी, फल आदि की कीमतें भी सर्वसामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर हो गई हैं।"

"टमाटर" पर सामना का कटाक्ष

संपादकीय में संजय राउत ने लिखा "टमाटर ने तो कहर ही ढा दिया है। खुदरा बाजार में टमाटर के दाम प्रति किलो 120 से 150 रुपए तक बढ़ गए हैं। अनेक जीवनावश्यक वस्तुओं के उपयोग पर पहले ही महंगाई की वजह से बंदिशें लग चुकी हैं। उसमें अब टमाटर भी शामिल हो गया है। मानसून आने में हुई देर, उससे पहले बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का प्रहार और उससे हुए कृषि उपज के नुकसान को दर वृद्धि का जिम्मेदार सरकार की ओर से बताया जा रहा है। उसमें कुछ तथ्य हो भी सकते हैं, परंतु सभी कुछ प्रकृति के ‘भरोसे’ छोड़ना ही हो तो सरकार के नाते सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी और कर्तव्य क्या हैं? पेट्रोल की दर वृद्धि पर ये कच्चे तेल की वैश्विक दर वृद्धि की ओर उंगली दिखाते हैं। फिर जब ये वैश्विक दरें कम होती हैं, तब पेट्रोल-डीजल उस प्रमाण में सस्ते क्यों नहीं होते? इस प्रश्न पर हमेशा हाथ उठा लिए जाते हैं।"

केंद्र सरकार पर शिवसेना यूबीटी का हमला

उन्होंने लिखा "जीवनावश्यक वस्तुओं, उसी तरह दाल, खाद्य तेल, फल, सब्जियों इत्यादि की दर में भी वृद्धि हो रही है। इस दर वृद्धि के लिए वे कभी कम उत्पादन पर उंगली उठाते हैं तो कभी प्राकृतिक परिस्थितियों के नाम पर उंगलियां चटकाते हैं। फिर आपकी जिम्मेदारी और काम क्या है? महंगाई का ठीकरा आप कभी इस पर तो कभी उस पर फोड़नेवाले होंगे तो सरकार के रूप में जनता को आपका क्या लाभ? अब टमाटर 150 रुपए के पार पहुंच गया है फिर भी इसका ठीकरा मॉनसून पर फोड़ रहे हो। प्याज को लेकर भी सालों-साल से यही होता आया है। कभी प्याज की कीमतें इतनी गिर जाती हैं कि किसान उसे सड़क पर फेंकने को मजबूर हो जाता है। तो कभी वो बेहद महंगा हो जाता है, लेकिन न लाभ प्याज उत्पादक को मिलता है, न आम जनता को। वह मिलता है तो दलालों और व्यापारियों को।"

मोदी सरकार के 9 साल

संपादकीय में लिखा गया कि "मोदी राज में भी अलग क्या हो रहा है? 9 वर्षों के शासनकाल में निर्णयों का ढोल आप सर्वत्र पीटते हो, फिर इन 9 वर्षों के बाद भी ‘महंगाई डायन’ आम जनता की गर्दन से उतरने का नाम लेती क्यों नहीं दिख रही है? 9 वर्षों के बाद भी आपकी सरकार दर वृद्धि और महंगाई की ही ‘डिलिवरी’ क्यों दे रही है? पेट्रोल-डीजल के दाम ‘किफायती’ लगने लगें, इतने टमाटर के दाम बढ़ गए हैं। टमाटर की कीमतों की तुलना में पेट्रोल सस्ता है, ऐसी स्थिति निर्माण हो गई है। रोज के भोजन से लुप्त हो चुका टमाटर सोशल मीडिया पर मीम्स, रील्स, व्हॉटसऐप मैसेजों में नजर आता है। थाली से नदारद टमाटर को लेकर शोक मनाएं या ‘स्क्रीन’ पर नजर आनेवाले ‘आभासी’ टमाटर की ओर देखकर दुख भूलने का प्रयास किया जाए? ऐसी कैची में आम आदमी फंस गया है। टमाटर भी चोरी की ‘चीज’ बन गया है।"

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