'दूसरे क्या बोलते हैं, इसकी परवाह नहीं, हम जानते हैं कि क्या कर रहे हैं', जानें शरद पवार ने और क्या कहा
दरअसल शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' में सोमवार को एक संपादकीय में दावा किया गया था कि पवार ऐसा उत्तराधिकारी ढूंढने में विफल रहे हैं जो उनकी पार्टी को आगे ले जा सके। इसी के जवाब में पवार ने ये बात कही।
पुणे: एनसीपी नेता शरद पवार बीते कुछ दिनों से चर्चा में हैं। जिस दिन उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था, उसी दिन से सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया था। लोग एनसीपी के नए नेतृत्व को लेकर कयासबाजी करते दिखाई दे रहे थे। इसी बीच शरद पवार का नया बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें और उनकी पार्टी के नेताओं को न तो दूसरों के कहने की परवाह है और न ही वे ऐसे लेखों को कोई महत्व देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वे क्या कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल एनसीपी को आगे ले जाने के लिए अपना उत्तराधिकारी ढूंढने में शरद पवार की असफलता का शिवसेना (यूबीटी) द्वारा दावा किया गया था। इसके बाद शरद पवार ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि उन्हें और उनकी पार्टी के नेताओं को न तो दूसरों के कहने की परवाह है और न ही वे ऐसे लेखों को कोई महत्व देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वे क्या कर रहे हैं। पवार ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के इतर सतारा में संवाददाताओं से ये बात कही।
उन्होंने कहा कि एनसीपी में हर कोई जानता है कि पार्टी को कैसे आगे ले जाना है, और वे जानते हैं कि पार्टी में नया नेतृत्व कैसे बनाया जाता है। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' में सोमवार को एक संपादकीय में दावा किया गया था कि पवार ऐसा उत्तराधिकारी ढूंढने में विफल रहे हैं जो उनकी पार्टी को आगे ले जा सके। 'सामना' में यह भी दावा किया गया था कि एनसीपी के नए अध्यक्ष के बारे में फैसला करने के लिए बनाई गई समिति में कुछ ऐसे सदस्य भी शामिल थे जो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने के इच्छुक थे लेकिन इन सदस्यों को एनसीपी कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण पवार से पद पर बने रहने के लिए कहना पड़ा।
एनसीपी, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और कांग्रेस के साथ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन का प्रमुख घटक दल है। 'सामना' में टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, "अगर कोई इस बारे में लिखता है कि हम नया नेतृत्व खोजते हैं या नहीं, तो हम इसे महत्व नहीं देते हैं। यह (लिखना) उनका विशेषाधिकार है लेकिन हम इसे अनदेखा करते हैं। हम जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं, और हम इससे संतुष्ट हैं।" (इनपुट: भाषा)
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