सूरत: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में कोर्ट में माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि मेरा बयान राजनीतिक था। राहुल गांधी ने अदालत में कहा कि मैंने एक राजनीतिक नेता की हैसियत से बयान दिया था। उन्होंने कहा कि करप्शन पर बोलना मेरी जिम्मेदारी है और मैंने अपना फर्ज निभाया है। राहुल ने कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा, मुझे कोर्ट की दया नहीं चाहिए। अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी ने महात्मा गांधी के प्रसिद्ध कथन 'मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।' को ट्वीट किया।
सूरत की अदालत ने सुनाई सजा
बता दें कि सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ से जुड़े बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें गुरुवार को दोषी करार दिया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने IPC के सेक्शन 504 के तहत गांधी को दोषी करार दिया, जो शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है। फैसला सुनाए जाते समय राहुल गांधी अदालत में मौजूद थे। वह आज सुबह ही सूरत पहुंचे थे।
ऐसा क्या कहा था राहुल ने? राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला उनके उस बयान को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘क्यों सभी चोरों का सरनेम मोदी ही होता है?’ राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ बीजेपी के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी।
'मोदी का नाम लेने पर भी हो जाती है सजा' वहीं, राहुल गांधी की सजा पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, 'अब तो मोदी जी का नाम लेने से मानहानि हो जाती है। यह भी बड़ा चिंताजनक विषय है। ऐसे हालात क्यों पैदा कर दिए कि किसी भी मोदी का नाम ले लो तो उस पर मानहानि हो जाती है। सजा को चैलेंज किया जाएगा।'
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