इंडी गठबंधन में 2024 के चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री फेस को लेकर पेंच फंस गया है। 28 पार्टियों के इंडी अलायंस में कई ऐसी पार्टियां हैं जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम फेस बनाए जाने पर राजी नहीं हैं। ऐसे में दिल्ली में पारा भले ही लुढ़क रहा हो, लेकिन इंडिया गठबंधन में ममता बनर्जी के एक दांव से कांग्रेस समेत कई पार्टियों का पारा लाल हो गया है। इस बार इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में नेताओं के बीच पहले वाली गर्मजोशी की कमी महसूस हो रही थी। कहीं ना कहीं इसकी वजह हालिया विधानसभा चुनाव के दौरान घटक दलों के बीच पनपा मतभेद था।
राहुल और अखिलेश रेस से बाहर
गौर करने वाली बात ये है कि ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के एक दांव ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की रेस से ही आउट कर दिया है। वहीं पीएम पद के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे नीतीश कुमार और लालू यादव मैच खेलने से पहले ही रिटायर्ड हर्ट हो गए हैं। वहीं अखिलेश यादव का नाम प्लेइंग इलेवन से ही गायब हो गया।
लालू यादव और नीतीश कुमार नाराज
अब तक विपक्षी गठबंधन की 4 बैठक हो चुकी हैं, लेकिन मोदी से मुकाबले का फॉर्मूला फिक्स नहीं हो पाया है। सूत्रों की मानें तो जैसे ही ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के लिए आगे बढ़ाया, तो वहां मौजूद कई पार्टी के नेताओं के चेहरे लाल पीले हो गए। सबसे ज्यादा परेशानी लालू यादव और नीतीश कुमार को हुई। बताया जा रहा है कि ममता के इस प्रस्ताव से दोनों नाराज़ हैं। यही वजह है कि अब तक ना तो लालू यादव कुछ बोले और ना ही नीतीश कुमार का कोई बयान आया। वहीं पीएम फेस को लेकर ममता दीदी का स्टैंड लाउड एंड क्लीयर है।
विपक्ष के गठबंधन में पड़ रही गांठ
ममता बनर्जी के इस दांव से गठबंधन में अब गांठ पड़ती दिख रही है। वहीं बीजेपी नीतीश कुमार को हकीकत का आईना दिखा रही है कि उनकी इंडिया गठबंधन में हैसियत क्या है। इंडिया गठबंधन में मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम फेस बनाए जाने पर जारी घमासान पर अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी होने लगी है। शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर खरगे को ही पीएम कैंडिडेट बनाया जाता है तो इस पर उन्हें कोई एतराज नहीं है। वहीं अखिलेश यादव ने पीएम फेस के सवाल को संसद के बवाल पर मोड दिया।
इंडिया गठबंधन में जहां एक तरफ पीएम फेस को लेकर घमासान जारी है, वहीं दूसरी तरफ गठबंधन में बीएसपी के आने की ख़बरों से अखिलेश यादव परेशान हैं। सामना में गठबंधन के लीडर पर सस्पेंशन लेख से कांग्रेस आला कमान नाराज हैं। वहीं नीतीश कुमार की हिन्दी ने दक्षिण की पार्टियों को असमंजस में डाल दिया है।
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