Punjab News : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने शनिवार को कहा कि 'एक विधायक, एक पेंशन' को लागू करने वाली अधिसूचना से न केवल राजनीतिक व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि उनकी पार्टी के मौजूदा कार्यकाल में लगभग 100 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने 'एक विधायक, एक पेंशन' संशोधन की गजट अधिसूचना को मंजूरी दी।
पेंशन सुविधा का पूरा बोझ करदाताओं पर पड़ता है-मान
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि इन नेताओं को दी जाने वाली पेंशन सुविधा का पूरा बोझ करदाताओं द्वारा वहन किया जाता है। उनके पैसे का दुरुपयोग इन नेताओं की जेब भरने के लिए किया जाता है, न कि जनकल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।उन्होंने कहा कि यह उनकी सरकार द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतिष्ठित नायकों को भी विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने समानता पर आधारित समाज बनाने के लिए राष्ट्र के लिए अपना जीवन लगा दिया।
राजनीति में आने का मतलब लोगों की सेवा-मान
मान ने कहा कि उनकी सरकार उनकी आकांक्षाओं को संजोने और राज्य के गौरव को बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा, "राजनीति लोगों की सेवा है।" उन्होंने कहा कि विधायकों ने स्वेच्छा से लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में प्रवेश किया है और इस सेवा के बदले कई पेंशन का दावा करने की उनकी कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं है।
क्या है एक विधायक-एक पेंशन
इस कानून के मुताबिक, एक विधायक को सिर्फ उसके एक कार्यकाल के हिसाब से ही पेंशन दी जाएगी। अब इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि नेता ने कितनी बार विधायक का इलेक्शन लड़ा है। अब सिर्फ एक कार्यकाल की पेंशन का आधार बनेगा। इससे विधायकों की पेंशन पर होने वाले खर्च पर भी असर पड़ेगा।
पहले कानून क्या था?
पहले नियम ये था कि अगर किसी विधायक ने पांच बार चुनाव जीता है तो उस व्यक्ति को पांच बार के हिसाब से पेंशन मिलेगी। उदाहरण से समझिए..जैसेकि अगर एक बार विधायक बनने पर किसी नेता को 50 हजार रुपए पेंशन मिलती है तो 5 बार जीतने वाले विधायक को करीब ढाई लाख रुपये पेंशन दी जाती थी। लेकिन अब नए कानून से पुरानी व्यवस्था बंद हो जाएगी।
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