नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने के पार्टी नेतृत्व के प्रस्ताव को मंगलवार को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी में घर कर गई ढांचागत समस्याओं को दूर करने के लिए उनसे ज्यादा जरूरी यह है कि कांग्रेस में नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति हो। बता दें कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किशोर को कांग्रेस के ‘विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह-2024’ का हिस्सा बनकर पार्टी में शामिल होने की पेशकश की थी। सूत्रों के मुताबिक, हालांकि प्रशांत किशोर इससे कहीं ज्यादा की ख्वाहिश रखते थे और यही वजह है कि कांग्रेस में उनकी एंट्री होते-होते रह गई।
प्रशांत किशोर के मन में बिहार के लेकर महत्वाकांक्षाएं
सूत्रों ने बताया कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के महासचिव (योजना एवं रणनीति) बनना चाहते थे और साथ ही एक ऐसा तंत्र चाहते थे जिसमें वह सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष को रिपोर्ट करें, जबकि कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में ‘विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह-2024’ के सदस्य के तौर शामिल होने की पेशकश की थी। सूत्रों के मुताबकि, प्रशांत किशोर के मन में बिहार को लेकर भी महत्वाकांक्षाएं थीं और वह चाहते थे कि पार्टी उन्हें अगले साल बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए और आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश करे।
‘पीके की विश्वसनीयता को लेकर भी थीं आशंकाएं’ सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस में प्रशांत किशोर की विश्वसनीयता को लेकर भी कई लोगों के मन में आशंकाएं थीं क्योंकि वह कई अन्य राजनीतिक दलों के भी करीब थे। तेलंगाना प्रभारी ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया था कि जो दुश्मन के करीब है उस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। दरअसल, वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का जिक्र कर रहे थे क्योंकि प्रशांत किशोर की कंपनी उनकी सरकार के साथ काम कर रही है। बता दें कि पिछले कई दिनों से प्रशांत किशोर के कांग्रेस से जुड़ने की संभावना को लेकर पार्टी के भीतर लगातार मंथन हो रहा था।
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