आप की अदालतः बिहार चुनाव में लालू यादव फैक्टर कितना काम करेगा? प्रशांत किशोर ने बताया
आप की अदालत में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव और लालू प्रसाद यादव व आरजेडी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए। पीके ने कई अन्य विषयों पर भी अपना विचार रखा।
नई दिल्लीः चुनाव रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के को-ऑर्डिनेटर प्रशांत किशोर ने इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के बहुचर्चित टीवी शो आप की अदालत में सवालों का खुलकर जवाब दिया। उन्होंने बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी बात की। लोकसभा चुनाव में बिहार के नतीजों पर प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 25-30 सालों से बिहार में लालू यादव का प्रभाव सबसे बड़ा फैक्टर है।
लालू यादव का बिहार में कितना असर है, पीके ने बताया
एक सवाल के जवाब के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में एक वर्ग ऐसा है जो लालू यादव के नाम पर आरजेडी को वोट करता है। वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है जो लालू यादव के विरोध में वोट करता है। समाज का एक वर्ग ऐसा है जो चाहे जो भी हो जाए वह लालू यादव की पार्टी को वोट देता है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी भी कीमत पर आरजेडी को वोट नहीं देना चाहते।
इसलिए नीतीश कुमार की पार्टी को मिली 12 सीटें
विधानसभा चुनाव में लालू यादव के प्रभाव से जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग, जिसने आरजेडी के शासनकाल में 15 साल तक जंगल राज देखा है, वह कभी भी लालू को वोट नहीं देगा। नीतीश कुमार ने इस लालू फैक्टर की वजह से ही 12 लोकसभा सीटें जीतीं। बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में जेडीयू, चिराग पासवान की एलजेपी, हम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी।
प्रशांत किशोर ने बताया उनकी पार्टी का किस पर रहेगा जोर
अगले महीने लॉन्च होने वाली अपनी जन सुराज पार्टी के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि वे बिहार में करीब दो करोड़ लोगों से 100-100 रुपए जमा करेंगे ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में वे अपनी पार्टी के खर्च को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का जोर शिक्षा और विकास पर रहेगा।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से जु़ड़े सवाल पर दिया ये बयान
यह पूछे जाने पर कि क्या दो मुख्यमंत्रियों अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से चुनावों पर कोई असर पड़ा, प्रशांत किशोर ने कहा, 'मुझे ऐसा नहीं लगता। अगर ऐसा होता तो झारखंड में बीजेपी का सफाया हो जाता। इसके बजाय, राजस्थान और महाराष्ट्र में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। अगर हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी से भूचाल आ सकता था, तो बीजेपी को सबसे ज़्यादा नुकसान बिहार और झारखंड में होता।