संसद में मूर्तियों का स्थान बदलने पर जमकर बवाल हो रहा है। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ बताया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन के नेता इसके समर्थन में हैं। सरकार का कहना है कि प्रेरणा स्थल से संसद परिसर की शोभा बढ़ेगी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में 'प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन करते हुए कहा कि ये ऐसा स्थान है, जो हर भारतीय के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं होगा।
विपक्षी दलों का यह भी कहना है कि इन मूर्तियों के सामने बैठकर ही वह पिछले 10 साल से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते थे, लेकिन इस बार संसद से इन मूर्तियों को ही हटा दिया गया है। मूर्तियों का स्थान बदलने पर सरकार ने सफाई दी है कि प्रेरणा स्थल से संसद परिसर की शोभा बढ़ेगी और देश की महान विभूतियों के दर्शन एक ही जगह हो सकेंगे।
ओम बिरला ने भी की तारीफ
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में 'प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन करने के बाद कहा, "प्रेरणा स्थल पर आकर प्रेरणा मिली है। ये ऐसा स्थान है जो हर भारतीय के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं होगा।" 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रेरणा स्थल का लोकार्पण किया है। मुझे लगता है कि प्रेरणा स्थल आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।"
क्या है मामला?
संसद भवन में देश के कई बड़े महापुरुषों की मूर्तियां लगी हुई हैं। ऐसी मू्र्तियों की संख्या 50 के करीब है। ये मूर्तियां अलग-अलग स्थानों पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अनुसार हर मूर्ति को जिस स्थान पर रखा गया है। उसका अपना महत्व है और काफी सोचने समझने के बाद मूर्तियों को स्थापित किया गया था। संसद भवन में मूर्तियों की स्थापना के लिए एक समिति होती थी, जिसका गठन 2019 से नहीं किया गया है। अब सरकार ने सभी मूर्तियों को एक स्थान पर लाकर प्रेरणा स्थल बना दिया है। इसे लेकर विपक्षी दल आपत्ति जता रहे हैं।
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