कोलकाता: अपने बेबाक बयानों से देश-विदेश में चर्चा बटोरने वाले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि राष्ट्र हित को सबसे आगे रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मजबूरी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे देश की सीमाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो या इसके व्यापक हितों को नुकसान पहुंचे। IIM कोलकाता के छात्रों से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू कश्मीर के लिए किया गया अस्थायी प्रावधान ‘राजनीति’ की वजह से 70 सालों से अधिक समय तक बना रहा।
‘हमारे यहां चीजें अस्त-व्यस्त थीं’
जयशंकर ने कहा, ‘राष्ट्र हित को सर्वप्रथम रखना सबसे जरूरी है। राजनीति ऐसी न हो कि देश के व्यापक हित को नुकसान पहुंचे। सभी नेताओं का सबसे पहले यही रूख होना चाहिए।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ‘सियासत ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे हमारी सीमाओं के लिए खतरा पैदा हो।’ 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने के बारे में जयशंकर ने सवाल किया कि एक अस्थायी प्रावधान के लंबे समय तक बने रहने के पीछे सियासत नहीं तो और क्या था। उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यही है कि हमारे यहां चीजें अस्त-व्यस्त थीं और दुनिया ने उसका इस्तेमाल किया।’
‘खुद ही नफा-नुकसान देख ले पड़ोसी देश’ जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर जनमत तैयार करने की जरूरत है क्योंकि यह देश की राजनीति को प्रभावित करता है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे F-16 जैसे अडवॉन्स्ड फाइटर जेट्स के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘यदि आप पिछले 75 सालों का इतिहास देखें तो ऐसे कदमों ने सैन्य तानाशाही को बढ़ावा देने के अलावा और कुछ नहीं किया है।’ पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश अपनी सीमा से बाहर आतंकवाद के नतीजों पर एक बार गौर करें और उसका नफा-नुकसान देखें।
‘वैश्विक मंच पर हमारा असर बढ़ा है’ बता दें कि पाकिस्तान में मजहब की बुनियाद पर कायम आतंकी गुटों ने वहां भी आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। वहीं वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते असर का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि हमारा देश अब पहले के मुकाबले विश्व मंच पर ज्यादा मायने रखता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षण है जब भारत दुनिया के साथ जुड़ाव की शर्तों को फिर से स्थापित कर रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा समय है जब हमें ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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