वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर मंगलवार को पलटवार किया है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि हलवा समारोह बजट की तैयारी का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। इसकी आलोचना इससे जुड़े कर्मचारियों का अपमान करना है। सीतारमण ने लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, 'हलवा समारोह उस समय से चल रहा है, जब से वित्त मंत्रालय की प्रीटिंग प्रेस मिंटो रोड में हुआ करती थी। हमारे देश में कोई भी अच्छा काम करने से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा है। इसकी आलोचना करना बजट की तैयारियों से जुड़े कर्मचारियों का मजाक उड़ाना और उनका अपमान करना है।'
एक भी दलित व आदिवासी नहीं- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने सोमवार को बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया था कि 20 अधिकारियों ने देश का बजट बनाने का काम किया है, लेकिन इनमें से सिर्फ एक अल्पसंख्यक एवं एक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) हैं और उनमें एक भी दलित एवं आदिवासी नहीं है। इसके साथ ही राहुल ने बजट से पहले की हलवा रस्म का जिक्र करते हुए कहा था, 'इस सरकार में 2-3 प्रतिशत लोग ही हलवा तैयार कर रहे हैं। उतने ही लोग हलवा खा रहे हैं तथा शेष भारत को यह नहीं मिल रहा है।'
बजट के बाद ही बाहर आ पाते हैं कर्मचारी- निर्मला
सीतारमण ने इस आरोप के जवाब में कहा, 'हलवा समारोह के बाद इससे जुड़े कर्मचारी बजट जारी नहीं होने तक बाहर नहीं आते हैं। पहले उन्हें 9 दिन और 8 रात अलग-थलग गुजारनी पड़ती थीं, लेकिन अब उन्हें 5 रात और 4 दिन सबसे दूर रहना होता है। वे बजट के बाद ही बाहर आ पाते हैं। बजट की गोपनीयता के लिए ऐसा करना जरूरी होता है।'
राहुल गांधी के बयान से कर्मचारियों का अपमान- निर्मला
उन्होंने इस बजट की तैयारियों से जुड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, 'उप-प्रबंधक कुलदीप शर्मा पिता के निधन के बावजूद बजट तैयारियों में शामिल हुए और बाहर नहीं निकले। इसी तरह सुभाष अपने बेटे का निधन होने के बाद भी बाहर नहीं आए। राहुल गांधी का बयान ऐसे कर्मचारियों का अपमान है।'
क्या बजट से पहले की हलवा सेरेमनी?
बता दें कि हलवा समारोह को बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का आखिरी चरण माना जाता है। यह केंद्र सरकार के बजट की तैयारी में शामिल वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को ‘अलग रखने’ की प्रक्रिया है। इस तरह वे कुछ दिनों के लिए बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग हो जाते हैं। ये अधिकारी और कर्मचारी संसद में बजट पेश होने तक नॉर्थ ब्लॉक (वित्त मंत्रालय के दफ्तर) के ‘बेसमेंट’ में ही रहते हैं। वहां पर पूरी गोपनीयता रखी जाती है। वित्त मंत्री के लोकसभा में अपना बजट भाषण पूरा करने के बाद ही वे बाहर निकलते हैं।
भाषा के इनपुट के साथ
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