'एक आतंकी का पक्ष लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहे उमर अब्दुल्ला', भड़के बीजेपी सांसद मनोज तिवारी
मनोज तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि ये लोग सीएम की कुर्सी पर भी रह चुके हैं और देश विरोधी बयान दे रहे हैं।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के अफजल गुरु पर दिए बयान पर बीजेपी बिफर पड़ी है। बीजेपी सांसद ने मनोज तिवारी ने कहा कि उमर अब्दुल्ला का बयान सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देना है। शीर्ष अदालत को इसपर संज्ञान लेना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए: मनोज तिवारी
मनोज तिवारी ने कहा, "उमर अब्दुल्ला का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सीधी चुनौती है। अफजल को इसलिए फांसी दी गई क्योंकि उसने संसद पर हमले की योजना बनाई थी। आतंकवादी संसद में घुसने में सफल नहीं हो पाए लेकिन हमारे करीब एक दर्जन सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। ऐसे में उमर अब्दुल्ला का एक आतंकवादी अफजल गुरु का पक्ष लेना सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट को इस पर संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि ये लोग सीएम की कुर्सी पर भी रह चुके हैं और देश विरोधी और सुप्रीम कोर्ट विरोधी बयान दे रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसी वजह से राहुल गांधी ने उमर अब्दुल्ला की पार्टी के साथ समझौता किया है?..."
फांसी देने से कोई मकसद पूरा नहीं हुआ:अब्दुल्ला
दरअसल, उमर अब्दुल्ला ने संसद पर हमले के मामले में दोषी करार दिए गए अफजल गुरु की फांसी को गलत बताया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अफजल गुरु को फांसी देने से कोई मकसद पूरा नहीं हुआ। अगर हम होते तो इसकी कतई मंजूरी नहीं देते। अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि वे मौत की सजा में विश्वास नहीं रखते हैं, क्योंकि इसके अदालती व्यवस्था पर सवाल उठते हैं।
अनुच्छेद 370 नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा का हिस्सा: अब्दुल्ला
वहीं धारा 370 की बहाली से जुड़े एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेट्स नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा का हिस्सा है। ऐसा कुछ नहीं है कि हम आत्मसमर्पण करेंगे। उन्होंने कहा कि केवल 370 ही इकलौता मुद्दा नहीं है जिस पर हम चुनाव लड़ रहे हैं। यह एक लंबी लड़ाई है। जब संसद में बीजेपी दो सांसदों पर सिमट गई थी तब किसी को भरोसा था कि वे धारा 370 और राम मंदिर पर कुछ कर पाने की हालत में होंगे? लेकिन समय के साथ चीजें बदल गईं और यहां तक पहुंचने में दशकों लग गए।